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6. आचार्य कुन्दकुन्द . आधुनिक भौतिक
विज्ञान के आइने मे
जैनाचार्यों द्वारा प्रतिपादित द्रव्य-व्यवस्था एव उसका वैशिष्ट्य ___ वैज्ञानिक-साहित्य की दृष्टि से आचार्य कुन्दकुन्द के दो ग्रन्थ विशेष महत्त्वपूर्ण हैं—पचास्तिकायसग्रह एव समयसार। लेखक ने इन ग्रथो मे परम्परा प्राप्त ज्ञान-विज्ञान का सुन्दर विश्लेषण किया है। उनके कुछेक सिद्धान्त तो आधुनिक वैज्ञानिक खोजो से अभी भी बहुत आगे हैं । जैसे जीव एव पुद्गल-द्रव्य का सूक्ष्मातिसूक्ष्म विवेचन । आधुनिक भौतिकशास्त्री जिस षट्कोणी 'क्वार्क मॉडल' की खोज मे व्यस्त है तथा जिसके अभी तक के स्थापित सिद्धान्तो मे वे एकस्वर नही हो सके हैं, आचार्य कुन्दकुन्द एव उनके परवर्ती सिद्धान्तचक्रवर्ती नेमिचन्द्राचार्य सहस्राब्दियो 'पूर्व ही अपनी रचनाओ मे उनका सुस्पष्ट विश्लेपण कर चुके हैं।
कुन्दकुन्द नादि अनेक आचार्यों द्वारा प्रतिपादित कुछ विचार माधुनिक विज्ञान के समकक्ष भी हैं, जैसे पुद्गल परमाणुवाद । जवकि कुछ सिद्धातो की कही-कही आशिक रूप में समकक्षता सिद्ध हई है। जैसे धर्मद्रव्य, अधर्मद्रव्य एव आकाश-द्रव्य । आगे इनकी सक्षिप्त चर्चा की जायगी। द्रव्य (Substance)-परिभाषा
कुन्दकुन्द ने विश्व मे व्याप्त समस्त द्रव्यो (Substances) को मुख्य रूप से दो भागो मे विभक्त किया है-जीव एव अजीव अथवा चेतन एव जड (Soul and Non-soul)। द्रव्य की परिभाषा मे उनका कथन है