Book Title: Kundakundadeva Acharya
Author(s): Rajaram Jain, Vidyavati Jain
Publisher: Prachya Bharti Prakashan

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Page 56
________________ 70/माचार्य कुन्दकुन्द तथा परमाणु, इनके अतिरिक्त भी जो कुछ भी मूर्त हो, वह सब पुद्गल के भेद के रूप में जानना चाहिए। जिसमे स्पर्श, रस, गन्ध एव वर्ण की अपेक्षा ने तथा स्कन्ध पर्याय की अपेक्षा से पूरण एव गलन क्रिया हो, उसे भी पुद्गल (Matter and Energy) माना गया है।' इन पुद्गलो को 4 भेदो मे बांटा गया है:1 स्कन्ध-अनन्तानन्त परमाणुओ से निर्मित होने पर भी जो एक 2 स्कन्ध देश-(उपर्युक्त का आधा) 3 कन्ध प्रदेश-(उपर्युक्त का भी आधा) 4, परमाणु-(स्कन्ध का अविभागी अर्यान् अन्तिम एक प्रदेश वाला पुद्गलाश) अथवा-जो आदि, मध्य एवं गन्त रहित है, जो केवक एक प्रदेशी है (जिनके दो नादि प्रदेश नहीं है), और जिसे इन्द्रियो द्वारा ग्रहण नहीं पिया जा मकता, वह विभाग-विहीन द्रव्य परमाणु है। पुद्गल परमाणु की शक्ति माधुनिक वैज्ञानिको ने जिस (Matter and energy) का गहन अध्ययन कर समस्त विश्व को आश्चर्यचकित कर दिया है, वह वस्तुतः पुद्गल ही है। जिस पुद्गल को पूरण-गलन क्रिया वाला बताया गया है, आधुनिक विज्ञान मे उसे ही (Fusion and Fission) तया (Disintigration) वाला सिद्ध किया गया है। Atom-bomb (परमाणु बम) को Fisson-bomb इनीलिए कहा गया, क्योंकि जब Atom (परमाण) के कण-कण विखर जाते हैं (पूर्वोक्न गलन क्रिया) तभी उममे शक्ति उत्पन्न होती है। इसी प्रकार Hydrosion-bomb को Fusoin-bomb इनी 1. पंचास्तिकाय, गाथा-76 (सस्कृन टीका) 2 पचास्तिकाय, गाथा-74

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