Book Title: Kundakundadeva Acharya
Author(s): Rajaram Jain, Vidyavati Jain
Publisher: Prachya Bharti Prakashan
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आचार्य कुन्दकुन्द / 37
गाहिणी
णहि दाण णहि पूया पहि सील णहि गुण ण चारित्त । जे जइणा भणिदा ते रइया होति कुमाणुसा तिरिया ।।
(रयणसार 39)
चपला
अज्जवसप्पिणि भरहे पंचमयाले मिच्छपुव्वया सुलहा। सम्मत्तपुव सायारणयारा दुल्लहा होति ।।
(रयणसार 55)

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