________________
'० शब्द विवेचन ०१ शब्द व्युत्पत्ति ०१.१ प्राकृत में 'किरिया' शब्द की व्युत्पत्ति
रूप-किरिया, किरिआ, किया पद - संज्ञा लिंग-स्त्रीलिंग धातु-V कर ( V कृ)करना, बनाना । किरिया--'हश्रीहीकृत्स्नक्रियादिष्ट्यास्वित्' ( हेम ० ८८।२।१०४)
'ह' अन्तवाले तथा श्री, ह्री, क्रिया, कृत्स्न, दिष्ट्या आदि संस्कृत शब्दों के प्राकृत रूप में संयुक्त व्यंजन के अन्त्य व्यंजन से पूर्व 'इ' का आगम होता है- 'एषु संयुक्तस्यान्त्यव्यञ्जनात्पूर्व इकारः' ( स्वोपज्ञवृत्ति)। यथा--अर्ह > अरिहा ; श्री > सिरी; ह्री > हिरी; क्रिया > किरिया। अतः संस्कृत शब्द क्रिया का प्राकृत रूप किरिया बना-ऐसा समझना चाहिए।
किरिआ--प्राकृत में 'य' का 'अ' भी हो जाता है ।। ___ किया—र्ष प्राकृत में किया शब्द का “किया' रूप भी मिलता है। 'आषेतु हयं नाणं किया-हीणं' ( स्वोपशवृत्ति )
'०१२ पाली में 'किरिया' शब्द की व्युत्पत्ति
रूप-किरिया, किरिय, क्रिया पद-संज्ञा लिंग-स्त्रीलिंग धातु--/कर ( क ) प्राकृत 'किरिया' शब्द की व्युत्पत्ति की तरह इसकी भी व्युत्पत्ति समझनी चाहिए।
"Aho Shrutgyanam"