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क्रिया-कोश क्रिया के दो भेद-अनाभोगिकी क्रिया और अनवकांक्षिकी क्रिया । .०७.२.१२ रागक्रिया-द्वषिकी क्रिया दो किरियाओ पन्नत्ताओ, तंजहा-पेज्जवत्तिया चेव दोसवत्तिया चेव ।
-ठाण० स्था२। उ १ 1 सू ६० । पृ० १८६ क्रिया के दो भेद-राग क्रिया और द्वेषिकी किया। .०७.२.१३ द्रव्यक्रिया-भावक्रिया ।
दव्वे किरिए अएयण, पओगुवायकरणिज्जसमुदाणे। इरियावहसंमत्तो, सम्मत्ते चेव मिच्छन्ते ।।
-सूय श्रु २ । अ २ । सू १ । नि गा १५६ । अभिधा क्रिया के दो भेद-द्रव्य क्रिया तथा भावक्रिया ।
एजनादि यावत् चक्षुपद्मनिपात क्रियाओं को द्रव्यक्रिया कहते हैं। प्रयोग, उपाय, करणीय, समुदान, ऐपिथिको, सम्यक्त्व, सममिथ्यात्व तथा मिथ्यात्व आदि क्रियाओं को भावक्रिया कहते हैं । टीका के आधार पर ।
.०७.३ तीन भेद
अकिरिया तिविहा पन्नत्ता, तंजहा-पओगकिरिया, समुदाणकिरिया, अन्नाणकिरिया।
-ठाण० स्था ३ । उ ३ ! सू १८७ ! पृ० २१५ अक्रिया के तीन भेद-प्रयोग किया, समुदानक्रिया और अज्ञान क्रिया । '०७४ क्रिया के पाँच भेद .०७.४.१ आरंभिया पंचक
(क) पंचकिरियाओ पन्नत्ताओ, तंजहा-आरंभिया, परिग्गहिया, मायावत्तिया, अपञ्चक्खाणकिरिया, मिच्छादसणवत्तिया ।
---ठाण० स्था ५। उ २ । सू ४१६ । पृ० २६२ (ख) कइ णं भंते। किरियाओ पन्नत्ताओ? गोयमा! पंच किरियाओ पन्नत्ताओ, तंजहा-आरंभिया, परिग्गहिया, मायावत्तिया, अपच्चक्खाणकिरिया, मिच्छादसणवत्तिया।
–पण्ण ० प २२ ! सू १६२१ । पृ० ४८२ (ग) आरम्भपरिग्रहमायामिथ्यादश प्रत्याख्यानक्रिया इति ।
-तत्त्वभा० अ०६। सू६ पृ० ३०१ (घ) आरम्भपरिग्रहमायामिथ्यादर्शनाप्रत्याख्यानक्रियाः पंच।
-राज. अ६ ! सू ५। पृ० ५१० । ला० १०
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