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क्रिया-कोश
जिस देश में आरम्भिकी क्रिया होती है उस देश में पारिग्रहिकी क्रिया होती है क्या ? इत्यादि प्रश्न का समाधान समय प्रश्न के अनुसार जानना चाहिए ।
जिस प्रदेश में आरंभिकी क्रिया होती है उस प्रदेश में पारिग्रहिकी क्रिया होती है। क्या ? इत्यादि प्रश्न का समाधान समय प्रश्न के अनुसार जानना चाहिए ।
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६५११ आरंभिकी क्रियापंचक और माल का क्रेता-विक्रेता
(क) गाहावइस्स णं भंते ! भंडं विक्किणमाणस्स के भंड अवहरेज्जा, तस्स णं भंते! तं भंड गवेसमाणस्स किं आरंभिया किरिया कज्जर, परिग्गहिया, मायावत्तिया, अपचखाण किरिया, मिच्छादंसणवत्तिया ( कज्जइ ) ? गोयमा ! आरंभिया किरिया कज्जर, परिग्गहिया, मायावन्तिया, अपञ्चक्खाणकिरिया ( कज्जइ), मिच्छादंसण किरया सिय कज्जइ, सिय नो कज्जइ; अह से भंडे अभिसमणागए भवइ, तओ से य पच्छा सव्वाओ ताओ पयणुई भवंति ।
-भग० श ५ । उ ६ । प्र ५ । पृ० ४८०
किराना - माल बेचते हुए किसी गृहपति - व्यापारी का माल कोई व्यक्ति चोरी कर ले और वह व्यापारी उस चोरी गये हुए माल की गवेषणा — खोज करे तो उस व्यापारी को आरंभिकी पारिग्रहिकी- मायाप्रत्ययिकी - अप्रत्याख्यान चार क्रियाएँ होती हैं और मिथ्यादर्शनप्रत्ययिकी क्रिया कदाचित होती है, कदाचित् नहीं होती है और यदि गवेषणाखोज करते हुए चोरी गया हुआ माल वापस मिल जाय तो सब क्रियाएँ प्रतनु-- हलकी हो जाती हैं ।
टीका - मिथ्यादर्शनप्रत्यया क्रिया स्यात् कदाचित् क्रियते भवति, स्याद् नो क्रियते— कदाचित् नो भवति यदा मिध्यादृष्टिः गृहपतिस्तदाऽसौ भवति, यदा तु सम्यग्दृष्टिस्तदा न भवति इत्यर्थः । xxx । अपहृतभाण्डगवेषणकाले महत्यस्ताः आसन् - प्रयत्नविशेषपरत्वाद् गृहपतेः, तल्लाभकाले तु प्रयत्नविशेषस्योपरत्वाद् स्वभवन्ति ।
यदि विक्रेता मिथ्यादृष्टि हो तो मिथ्यादर्शनप्रत्ययिकी क्रिया होती है; यदि विक्रेता सम्यग्टष्टि हो तो मिथ्यादर्शनप्रत्ययिकी क्रिया नहीं होती है ।
चोरी गये हुए माल की खोज के समय में प्रयत्न विशेष के कारण क्रिया महती होती है और चोरी गया हुआ माल यदि वापस मिल जाय तो प्रयत्न विशेष के न होने से क्रिया हलकी होती है ।
(ख) गाहावइस्स णं भंते ! भंडं विक्किणमाणस्स कइए भंडे साइज्जेज्जा, भंडे य से अणुवणीए सिया, गाहावइस्स णं भंते! ताओ भंडाओ कि आरंभिया किरिया
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