Book Title: Kesariyaji Rushabhdev Tirth Ka Itihas Author(s): Motilal Marttand Publisher: Mahavirprasad Chandanlal Bhanvra Jain View full book textPage 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ श्री॥ ऋषभ - वन्दना सदम-सेतुसरणोंप्रतिपालनार्थ नाभेनिकेतनमलंकृतवांजिनेन्द्रः । इन्द्रादिदेषविबुधैरभिषिक्तशीर्षों मोक्षाप्रदोविजयतेऋषभादिदेवः ।।१।। -चौपाई - । १॥ बंदउँ प्रभु-पद भव-भयहारी पुनि-मन-मनि सब विधि सुखकारी जग-भूपन जिन-धर्म-प्रकासी जगदाधार विमल-गुन-रासो। सुर सुरपति गावहिं प्रभुताई गुरु गनधर ध्यावहिं अधिकाई । निरसहिं निज उर सम्यकज्ञानी करत प्रनाम पापनिधि हानी अस चरनाम्बुज जनि उपकारी पुनि बंदउँ मन-ध्यान सम्हारी धरी उर भगति सहित गुनगाना वरमउं यह इतिहास सुहाना ॥२॥ ॥३॥ For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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