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.. श्री केशरियाजी के पवित्र नाम रुपी मन्त्र को स्मरण करने से और केशर आदि को मानता से कठिन से कठिन कार्य भी सहज में ही हुए है । ऐसो मानता भक्तिशात् लोगों में पाई जाती है। उदाहरण के लिए गुजरात के एक गांव में एक विधवा बहन के इकलौते बालक को विष भरे काले नाग ने डस लिया तब उस महिला ने केशरियाजी का ध्यान करते हुए प्रभू के चित्र के सामने घी का दीपक धुप कर, जल को नाम रुपी मन्त्र से मन्त्रित कर पिला दिया सो बालक खडा हो गया । कुछ दिन बाद उसने अपने पुत्र सहीत क्षेत्र पर आकर प्रभू को अपने पुत्र के बराबर केशर चढाई। कहते है एक मारवाडी ने सन्तान नहीं जीने की स्थिति में केशर चढाने की बाधा ली तो उसके दो सन्तान हुई वह पुत्र के रुप जीवित रही । बालक के बड़े होने पर १२ वर्ष की आयु में सेठजी तीथं पर आये और अपने पुत्र के तोल के बराबर केशर चढाई इसी प्रकार सिरोही के सज्जन ने भी उसी समय अपने तीन वर्ष के बालक बराबर कैशर तोलकर चढाई । अभी ही एक सज्जन ने ८००/- रुपयों की केशर एक साथ चढा गये है । इस प्रकार कई लोग अपने बच्चों को चांदो रुपये, घी, शक्कर, गुड आदि से तोलकर भगवान को चढाते है ।
प्रायः यात्रियों की मान्यता रही है कि भगवान की "मानता" लेने से कार्य सिद्ध होते है। जिनके काय होन
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