Book Title: Kesariyaji Rushabhdev Tirth Ka Itihas
Author(s): Motilal Marttand
Publisher: Mahavirprasad Chandanlal Bhanvra Jain

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Page 42
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org -80 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir I वाले होते हैं उनके लिए प्रसाद स्वरुप भगवान का पुष्प भी गिरता हैं एक रात्रि में संगोत कार्यक्रम के समय सन्तान हीन महिला के प्रार्थना करने पर एक साथ तीन पुष्प मिले । उठाने में एक निचे गिर गया और दो हाथ में रह गये । फल स्वरुप उस महिला के क्रम से तीन पुत्र हुए किन्तु एक पुत्र मर गया इस प्रकार बहुतों के मनोरथ सफल हुए हैं । - समुद्र में डूबते हुए जहाज का प्रभू के नाम से फिर से तिर जाने की बात प्रतिदिन भारती के बाद गाये जाने वाले निम्न स्तवन से ज्ञात होती हैं । 'केशरियाजी ने जहाज को लोग तिराये । माने एहि अचरज भारी आयो || बीच समुन्दरजहाजडूबंता कोई आधार नही पायो । ऋषभनाम जप्या सब साये जहाज तिर आयो || नाभिनन्दन जहाज को लोक तिरायो | १ | संक्षेप में तोथं चमत्कारों के लिए सदा से प्रसिद्ध रहा है । अतः भोल पटेल आदि जातियां भी प्रभु को श्रद्धा से पूजतो हैं जब कि यह दिगम्बर जैन तीर्थं ही हैं श्रद्धालुओं की प्राशाएं सफल हुई हैं और जिनने शुभकामनाएं चाही हैं, वे भक्त हुए हैं कुछ भी हो भगवान ऋषभदेव का दर्शन हो पापों का नाश करने वाला होने से मनोकामनाएं पूर्ण हो जाना स्वभाविक हैं ऐसे तार्थ की वन्दना कर यात्रियों को लाभ लेना चाहिये । For Private and Personal Use Only

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