Book Title: Kesariyaji Rushabhdev Tirth Ka Itihas
Author(s): Motilal Marttand
Publisher: Mahavirprasad Chandanlal Bhanvra Jain

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Page 50
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -४८ जैन मन्दिर हैं । यात्रियो को यहां दर्शन करने की सुविधाएं प्राप्त हैं । अतः दर्शन करने का प्रयत्न करना चाहिए। इस प्रकार ऋषभदेव एक दर्शनीय अतिशय क्षेत्र है और आज के युग की सभी प्रावश्यक सुविधाएं प्राप्त है । इस क्षेत्र पर प्रतिवर्ष सभी धर्मावलम्बी सहस्त्रों की संख्या में आते है और बिना किसी भेदभाव के केशरियाजी को पुजन कर घर लौटते हैं । यह तीर्थ दिगम्बर जैन होते हुए भी सर्व मान्य होने से प्रत्यन्त श्रद्धा पूर्वक पूजा जाता है। यात्रियों की सद्भावना से दर्शन पूजन कर क्षेत्र के दर्शनीय स्थान देखने चाहिये। युग के साथ साथ स्वतन्त्र भारत में इस क्षेत्र ने भी पर्याप्त उन्नति की है और आगे भी भविष्य उज्जवल प्रतीत होता है, मन्दिर की वर्तमान व्यवस्था को दृष्टिकोण में लाते हुए दिगम्बर जैन समाज ने 'पब्लिक ट्रस्ट एक्ट' के अन्र्तगत उच्चन्यायालय जोधपुर में दिनांक ४ जुलाइ १९६६ को एक रीट दायर कर दी हैं। तीर्थ रक्षार्थ दिगम्बर जैन के लिए यही उचित हैं, परिणाम उत्तम ही रहेगा । हमने इतिहास लिखने में निष्पक्ष हो कर सत्यता अपनाई है। अत: यात्रियों को प्रमाणित इतिहास पर विचार करते हुए तीर्थ यात्रा का लाभ लेना चाहिये । भगवान ऋषभदेव के अतिशय से विख्यात यह तीर्थ सदैव जयवन्त हो। इस शुभकामना के साथ लिखने से विराम लेते हैं । For Private and Personal Use Only

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