Book Title: Kesariyaji Rushabhdev Tirth Ka Itihas
Author(s): Motilal Marttand
Publisher: Mahavirprasad Chandanlal Bhanvra Jain

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Page 48
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -३६ 1 बड़े हो कर सारा ऋषभदेव दिखाई देता है । मन्दिर के प्रा सारा गांव फैला है वह ऐसा लगता है मानो मन्दिर की वन्दना कर रहा हो । चन्द्रगिरि की छतरियां गांव के चारों ओर दिखाई देती है । इस पहाड़ी के निचे सूरज कुण्ड है"। इसका जल दिन में दो बार पुजारी ले जाता है । ओर मूलनायक के अभिषेक काम लिया जाता है । कुण्ड के पास ही छोटा कुण्ड यात्रियों के स्नानार्थ बना हैं । तथा पास ही वर्षात नाला है । कुण्ड पर छतरी भी बनी हुई है । [४] कोयल तथा कुंवारिका नदी गांव की परिक्रमा करती हुई एक छोटी सी नही वर्ष भर जल से भरी रहती है। इस नदी को कोयल या कुवारिका के नाम से पुकारा जाता है गांव के उत्तर में इस नदी पर यात्रियों, एवं स्थानीय जनता के लाभार्थ एक पक्का घाट बना हुआ है। जिस पर एक छतरी भी बनी हुई है यह घाट अभी ही बना है गांव के दक्षिण में इस नदी पर एक मजबूत पांच दरवाजों वाला पक्का पुल बना है, जिस पर मोटरें आती जाती है । [५] भीम पगल्या नदी के दरवाजे के पास तीर्थ के हित चिन्तक दिपम्बर जैन काष्टासंघ के सुप्रसिद्ध भट्टारक भीमसेन का स्मारक है जो कि भीम पगल्या से प्रसिद्ध है । देखने योग्य है। स्मारक प्राचीन हैं । For Private and Personal Use Only

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