Book Title: Kesariyaji Rushabhdev Tirth Ka Itihas
Author(s): Motilal Marttand
Publisher: Mahavirprasad Chandanlal Bhanvra Jain

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Page 31
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -२६ इसके अतिरिक्त सेवा भावी संस्थाएं भी क्षेत्र की सफल सेवाएं कर रही हैं। इस प्रकार धुलेव ग्राम ऋषभदेव अथवा केशरियाजी के नाम से एक सुन्दर कस्बा बन गया है। इस समय गांव में लगभग ३५०० जनसंख्या है। जनता को तोर्थ क्षेत्र को सभी सुविधाएं प्राप्त हो रही है। . . मन्दिर की प्रतिष्ठा व ध्वजादंडरोहण ___ आदि ब्रह्म भ० ऋषभदेव की मूलनायक प्रतिमाजी के इस क्षेत्र पर प्रकट होने के उपरान्त ईटों से बनाये गये साधारण जिनालय को प्रतिष्ठा कब और कैसे हुई ? उसके विषय में अभी तक कोई प्रमाण भूत ऐतिहासिक सामग्रो प्राप्त नहीं हुई है, तथापि वि० स० १४३१ में मुख्य मन्दिर जीर्णोद्धत हुआ है, इससे स्पष्ट हैं कि साधारण जिनालय को प्रतिष्ठा प्राज से १००१ वर्ष पूर्व हुई होगो । तत्पश्चात मुख्य मन्दिर का वि. सं. १४३१ में जारर्णोद्धार हुआ था तब सर्व प्रथम मन्दिर को प्रतिष्ठा व ध्वजादण्डारोहण विधि हुई थी । यह प्रतिष्ठ दि० जैनाचार्य काष्ठासंघो भ. श्री धमकरति के तत्वाधान में हुई थी, ऐसा शिलालेख से ज्ञात होता है। For Private and Personal Use Only

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