Book Title: Kesariyaji Rushabhdev Tirth Ka Itihas
Author(s): Motilal Marttand
Publisher: Mahavirprasad Chandanlal Bhanvra Jain

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Page 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ ॐ ह्रीं श्री आदिनाथाय नमः॥ श्री केशरियाजी ऋषभदेव तीर्थ का - प्रमाणित इतिहास : श्री केशरिया जी : एक परिचय अनन्तगुण सागरंशिवमनन्तमध्याकृतम् । अनन्तभवभन्जनंचिदमनन्तज्ञानप्रदम् । सुरासुरपदाचितप्रगतपारिजातद्रम । नमामिकरुणाकरंऋषभमाद्यतीर्थकरम् ॥१॥ भारत प्रसिद्ध अतिशय क्षेत्र श्री केशरियाजी (ऋषभदेव) को कौन नहीं जानता ? युगादि जिन प्रथम तीर्थङ्कर भगवान ऋषभदेव के मंगलमय अतिशय से धुलेव ग्राम की भूमि को प्रसिद्धि प्राप्त करने का सौभाग्य प्रात्त हुमा है। यदि हम इस तीर्थ का ऐतिहासिक सिंहावलोकन करें तो ज्ञात होगा कि मूलनायक भ. ऋषभदेव की चित्ताकर्षक वीतराग प्रतिमा प्रतिवप्राचीन हैं । डॉ. कामताप्रसादजी जैन के मतानुसार "यहां से एक मील दूर भगवान की चरणपादुकाएं हैं। वहीं से धुलिया भील के स्वप्न के अनुसार यह प्रतिमा जमीन से निकली थी। धुलिया भील के नाम के कारण यह गांव धुलेव कहलाता है। __ अपनी प्राचीन शिल्पकला से सुसज्जित विशाल मन्दिर भ० केशरियाजी के दर्शनार्थ पाने वाले यात्रियों का मन मुग्ध कर लेता है । इसका का निर्माण हुमा ? इस विषय में प्राप्त For Private and Personal Use Only

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