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भार्या हारू तदपत्योः सः पुंरंजा कोता श्री ऋषभेश्वर प्रासादस्य जीर्णो
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याम्
द्वार श्री नाभिरांजवरवंश कृतावतार
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कल्पद्र ुमा
"माह सेवनेषु
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उक्त लेख से प्रमाणित होता है कि गर्भगृह शिखर तथा खेला मण्डप विक्रम सं० १४३१ में काष्ठासंघो भट्टारक धर्मकीर्ति के उपदेश से शाह हरदास एवं उसके पुत्र पुंजा तथा कोता ने जिर्णोद्धार कराया । इससे यह भी स्पष्ट सिद्ध होता है कि सं० १४३१ के पहले पूराना मन्दिर या जिनालय अवश्य था । यदि जिर्णोद्धार से पूर्व ६०० वर्ष पहले का पूराना मंदिर मान ले तो यह तोर्थ १२०० वर्ष पुराना तो अवश्य होना चाहिये ।
खेला मण्डप में उत्तर दिशा में दाई ओर लगे दूसरे शिलालेख से मंदिर को नौचौको तथा सभा मण्डप के निर्माण होने का प्रमाण मिलता जो कि इस प्रकार है ।
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"लोका आश्वासितां केचन आदिनाथ प्रणमामि नित्यं विक्रमादित्य संवत् १५७२ वर्षे वैशाख सुदी ५ वार सोमे भट्टारक श्री यशकिर्ति राज्ये श्री कला भार्या सोनबाई बिजिराज इदा.......धुलीय ग्रामे श्री ऋषभनाथ प्रणम्य: कांडया कोहिया भार्या भरमी तस्य पुत्र हीसा भार्या हिलसदे तस्य पुत्र कान्हा
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