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धुलेव ग्राम का अभ्युदय
युगादि जिन भगवान ऋषभदेव की अति मनोज्ञ प्रतिमाजी के प्रकट होने पर एक छोटा सा पाल खेडा में साधारण जिनालय पयवाया गया । बाग में अतिशय के प्रभाव से विशाल मन्दिर का क्रम-क्रम शनैः-शनैः निर्माण हुआ । अतः धुलाया गमेतो के नाम की बस्ती का नाम धुलेव पडा । वह बस्ती उत्तरोत्तर बढ़ने लगी और बढते २ एक सुन्दर गांव बन गया। प्रारम्भ में यह वस्ती मन्दिरजी के उत्तर पश्चिम में थी तीर्थ के चमत्कारों से यात्रीगण माने लगे। तब बस्ती का मन्दिर के मागे विकास होने लगा । इस समय जो सूरजपोल का दरवाजा है, वह बस्ती के शहर कोट का अन्तिम दरवाजा था। होली चौक जहां यशकीर्ति भवन बना हुआ है, उस समय गांव का श्मशान माना जाता था। काल क्रम से भगवान ऋषभदेव के तीर्थ का चमत्कार विशेषत: बढने लगा । अतः आसपास के गांवों के महाजन मौर ब्राह्मण आदि लोग पाकर इस
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