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तीर्थ के मुलनायक भगवान ऋषभदेव की मनोज्ञ प्रतिमा
आदि तीर्थङ्कर ऋषभदेव सातिशय चित्ताकर्षक परम वीतराग दि० प्रतिमा श्रतीव प्राचीन है। प्रतिमा जी पर किसी भी प्रकार का लेख या चिह्न नही है, हो सकता है यह प्रतिमा उस प्राचीन काल को हो, जबकि लोगो में शिलालेख लिखने का रिवाज नही था । यह भी हो सकता है, लेख अब तक मिट गया हो। प्रतिमाजी की प्रचीनता का पता ध्यान पूर्वक देखने से समझ में आ सकता है, लेख मिट जाना तो स्वभाविक है किन्तु प्रायः प्रति प्राचीन प्रतिमाओं के लेख नहो मिलते। कुछ भी हो प्रतिमा के विषय में तोर्थ के सभी इतिहासकारों ने स्वीकार किया है कि प्रतोव प्राचीन है ।
भ० ऋषभदेव की मान्यता [ मूर्ति-पूजा के रुप में भी ] बहुत प्राचीन काल से हैं। भारत में ही नहीं वरन विदेशों में भो प्रचोन मूर्तियां मिली है । मिश्र में दस हजार वर्ष पुरानो ऋषभदेव की मूर्ति मिली हैं । इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि कतिपय ऐसे प्रमाण उपलब्ध है जिनके आधार पर यह निश्चय होता है कि यह प्रतिमा चतुर्थ काल की है । इस क्षेत्र पर भूगर्भ से यह प्रतिमाजी के प्रकट होने पर ही तोर्थ का उत्तरोत्तर अतिशय बढा और शनैः शनैः इतने विशाल जिनालय का निर्मारण हुआ । प्राप्त प्रमाणों के आधार पर यह तीर्थ लगभग १२०० वर्षं
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