Book Title: Kesariyaji Rushabhdev Tirth Ka Itihas
Author(s): Motilal Marttand
Publisher: Mahavirprasad Chandanlal Bhanvra Jain

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Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ऋषभदेव-तीर्थ भारत के पश्चिम भाग में स्थित राजस्थान प्रान्त दक्षिरिण भाग में उदयपुर से ६५ की.मो. दुर एक पहाड़ी पर जो " कुमारिका" या " कोयल" मदो से वेष्ठित शुशोभित हो रहा है, गाँव का विकास मन्दिर जी के प्रागे हमा है । अतः ऐसा प्रतोत होता है मानो तीर्थ की वन्दना कर रहा हो इस तोर्थ भूमि पर यात्रियों को सुविधार्थ तीन धर्मशालाए बनी हुई हैं । यातायात, रोशनी, जल मादि का समुचित प्रबन्ध हैं । बिजली, तार-टेलीफोन, नल, प्रा० स्वास्थ्य केन्द्र, उच्च विद्यालय, छात्राश्रम, विश्व जैन मिशन केन्द्र, पुलिस थाना, विकास पंचायत आदि होने से यह गांव एक सुन्दर कस्बा बन गया है। यहां पगल्याजो, चन्द्रगिरि, सूरज कुण्ड, भीम पगल्याजी, कोयल घाट, यश किति भवन आदि स्थान दर्शनोय है । __ यह तीर्थ अपने चमत्कारों के लिए सदा से प्रसिद्ध रहा है । दर्शनार्थ पाने वाले यात्रियों की मान्यता रही है कि भगवान की "मानता" लेने से कार्य सिद्ध होते है। चैत्र कृष्णा अष्टमी व नवमी को भगवान ऋषभनाथ के जन्म दिवस पर मेले का आयोजन होता हैं तब सहस्त्रों नरनारी यहां आकर भगवान के दर्शन का लाभ लेते हैं । यह तीर्थ दिगम्बर जैन होते हुए भी सर्व मान्य रहा है, यह मन्यतम विशेषता है। विस्तृत वर्णन पृथक से मागे के अध्यायों में करेंगे। For Private and Personal Use Only

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