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॥ श्री॥ ऋषभ - वन्दना
सदम-सेतुसरणोंप्रतिपालनार्थ
नाभेनिकेतनमलंकृतवांजिनेन्द्रः । इन्द्रादिदेषविबुधैरभिषिक्तशीर्षों
मोक्षाप्रदोविजयतेऋषभादिदेवः ।।१।।
-चौपाई -
।
१॥
बंदउँ प्रभु-पद भव-भयहारी पुनि-मन-मनि सब विधि सुखकारी जग-भूपन जिन-धर्म-प्रकासी जगदाधार विमल-गुन-रासो। सुर सुरपति गावहिं प्रभुताई गुरु गनधर ध्यावहिं अधिकाई । निरसहिं निज उर सम्यकज्ञानी करत प्रनाम पापनिधि हानी अस चरनाम्बुज जनि उपकारी पुनि बंदउँ मन-ध्यान सम्हारी धरी उर भगति सहित गुनगाना वरमउं यह इतिहास सुहाना
॥२॥
॥३॥
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