Book Title: Karmarth Sutram
Author(s): Labhsagar Gani
Publisher: Agamoddharak Granthmala

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Page 23
________________ ૬ आहारक आहारक बंधन, आहारकतै जसबंधन, आहारककार्मणबंधन, अने आहारकतैजस कार्मणबंधन; तथा तैजसतैजसबंधन, कार्मणकार्मणबंधन अने तैजसकार्मणबंधन । संघयण - वज्रऋषभनारा वसंहनन, ऋषभनाराचसंहनन, नाराचसंहनन, अर्धनाराचसंहनन, कीलिका संहनन अने सेवात्तसंहनन । संस्थान - समचतुरस्र संस्थान, न्यग्रोधसंस्थान, सादिसंस्थान, कुब्जसंस्थान, वामन संस्थान भने हुंडकसंस्थान । वर्ण-कालो, लीलो, लाल, पीलो अने सफेद वर्ण । गंध-सुरभिगंध अने दुरभिगंध । रस-तीखो, कडवो, तुरो, खाटो अने मधुर रस । स्पर्श-भारे, हलको, कोमल, कठोर, शीत, उष्ण, चीकणो अने रूक्ष स्पर्श 1 विहायोगति - शुभ अने अशुभ खगम - विहायोगती । प्रत्येक प्रकृति- अगुरुलघु, उपघात, पराघात, उच्छ्रवास, आतप, उद्योत, जिननाम अने निर्माण ए प्रत्येक प्रकृतिओ । इतर - प्रतिपक्षसहित अर्थात् - त्रस अने स्थावर, बादर अ सूक्ष्म, पर्याप्त अने अपर्याप्त, प्रत्येक अने साधारण, स्थिर अने अस्थिर, शुभ अने अशुभ, सुखर अने दुःस्वर, आदेय भने अनादेय, यश अने अपयश ए त्रसदशक अने स्थावरदशक |

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