Book Title: Karmagrantha Part 6 Sapttika Nama Author(s): Chandrashi Mahattar, Dhirajlal D Mehta Publisher: Jain Dharm Prasaran Trust Surat View full book textPage 9
________________ संतस्स पयडिठाणाणि, ताणि मोहस्स हुंति पन्नरस । बंधोदयसंते पुण, भंगविगप्पा बहुजाण ।।१५।। छब्बावीसे चउइगवीसे, सत्तरसतेरसे दो दो। नवबंधगे विदुण्णि उ, इक्किक्कमओ परं भंगा ॥१६ ।। दस बावीसे नव इगवीसे, सत्ताइ उदयकम्मंसा । छाई नव सत्तरसे, तेरे पंचाइ अढेव ॥१७ ।। चत्तारिआइ नवबंधएसु उक्कोस सत्तमुदयंसा । पंचविहबंधगे पुण, उदओदुण्हं मुणेअव्वो ।।१८ ।। इत्तो चउबंधाइ, इक्विक्कुदया हवंति सव्वे वि। बंधोवरमे वितहा, उदयाभावे विवाहुज्जा ॥१९ ।। इक्कग छक्किक्कारस, दस सत्तचउक्कइक्कगंचेव । एए चउवीसगया, बार दुगिक्कम्मि इक्कारा ।।२० ॥ नवपंचाणउअसए, उदयविगप्पेहिं मोहिआजीवा । अउणुत्तरिएगुत्तरि पयविंदसएहिं विन्नेआ ॥२१ ।। नवतेसीइसएहिं, उदयविगप्पेहि मोहिआजीवाा। अउणुत्तरिसीयाला, पयविंदसएहिं विन्नेया ॥२२ ।। तिन्नेव य बावीसे, इगवीसे अट्ठवीस सत्तरसे। छच्चेव तेर नवबंधएसु, पंचेवठाणाणि ।।२३ ।। पंचविह चउव्विहेसु, छ छक्कसेसेसुजाण पंचेव। पत्तेयंपत्तेयं, चत्तारिअ बंधवुच्छेए ।॥२४॥ दसनव पन्नरसाई, बन्धोदयसन्तपयडिठाणाणि । भणिआणि मोहणिजे, इत्तो नामं परंतुच्छं ।।२५ ।। तेवीस पण्णवीसा, छव्वीसा अट्ठवीस गुणतीसा । तीसेगतीसमेगं, बंधवाणाणिनामस्स ।।२६ ।। चउ पणवीसा सोलस, नव बाणउईसया य अडयाला । एयालुत्तरछायाल, सया इक्किक्कबंधविही ॥२७॥ वीसिगवीसा चउवीसगा, उएगाहिया यइगतीसा। उदयट्ठाणाणि भवे, नव अट्ठ यहुंति नामस्स ॥२८॥ इक्कबियालिक्कारस, तित्तीसा छस्सयाणि तित्तीसा। बारससत्तरससयाणहिगाणि बिपंचसीईहिं ॥२९ ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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