Book Title: Karmagrantha Part 6 Sapttika Nama Author(s): Chandrashi Mahattar, Dhirajlal D Mehta Publisher: Jain Dharm Prasaran Trust Surat View full book textPage 8
________________ હક મૂળ ગાથાઓ : सिद्धपएहिं महत्थं, बंधोदयसंतपयडिठाणाणं । वुच्छं सुणसंखेवं, नीसंदं दिट्ठिवायस्स ॥१॥ कइबंधंतो वेयइ, कइ कइ वा संतपयडिठाणाणि । मूलुत्तरपगईसुंभंगविगप्पा मुणेअव्वा ॥२॥ अट्ठविहसत्तछब्बंधएसु, अद्वेव उदयसंतंसा। एगविहे तिविगप्पो, एगविगप्पो अबंधम्मि ।।३।। सत्तट्ठबंधअट्टदयसंत तेरससुजीवठाणेसु। एगम्मिपंच भंगा, दोभंगा हुंति केवलिणो ॥४॥ अट्ठसुएगविगप्पो, छस्सुविगुणसन्निएसुदुविगप्पो । पत्तेयं पत्तेयं, बंधोदयसंतकम्माणं ।।५।। पंच नवदुन्नि अट्ठावीसा, चउरो तहेव बायाला। दुन्नि यपंच य भणिया, पयडीओ आणुपुव्वीए ।।६।। बंधोदयसंतंसा, नाणावरणंतराइएपंच । बंधोवरमे वितहा, उदयसंतंसा हुंति पंचेव ।।७।। बंधस्सयसंतस्सय, पगइठाणाणि तिण्णितुल्लाई। उदयट्ठाणाईं दुवे, चउ पणगंदंसणावरणे ।।८।। बीयावरणे नवबंधएसु, चउ पंच उदय नवसंता। छच्चउ बंधे चेवं, चउबंधुदए छलंसाय ॥९॥ उवरयबंधे चउ पण, नवंसचउरुदय छच्च चउसंता। वेयणियाऽऽउयगोए, विभज मोहं परंवोच्छं ।।१०।। गोअंमि सत्तभंगा, अट्ठयभंगा हवंति वेअणिए । पण नवनवपणभंगा, आउचउक्के विकमसोउ ।।११ ।। बावीस इक्कवीसा, सत्तरसंतेरसेव नवपंच । चउ तिग दुगंच इक्कं, बंधट्ठाणाणि मोहस्स ।।१२ ।। एगवदो वचउरो, एत्तो एगाहिया दसुक्कोसा। ओहेण मोहणिजे, उदयट्ठाणाणि नव हुंति ।।१३।। अट्ठय-सत्तय-छच्चउ, तिगदुगएगाहिया भवे वीसा । तेरस बारिक्कारस, इत्तो पंचाइ एगूणा ।।१४।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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