Book Title: Karan Kutuhalam
Author(s): Bhaskaracharya
Publisher: Kshemraj Krishnadas

View full book text
Previous | Next

Page 91
________________ गणककुमुदकौमुदीटीकासमेतम् / (87) 33 स्थित्यर्थम् 30 / 33 एतत्कालीनवित्रिभम् 6 / 1 / 32 / 35 नतिः 6 / 5 सपातचन्द्रः 5 / 27 / 12 / 59 शरः 4 / 24 स्पष्टशरः 2 / 19 स्पार्शिको दक्षिणः स्थितिः 2 / 28 अनयोनतिथ्यन्ते 26 / 56 पृथक्स्थं लम्बनं धनं 2 / 25 जातः स्थिरस्पर्शकालः 30 / 21 स्थिरमध्यग्रहणकालः 32 / 49 अनयोरन्तरं स्पष्टा स्पर्शस्थितिः 2 / 28 अथ सकल्लम्बनेन स्पर्शकालः साध्यते यथा मध्या मध्यस्थितिः 2 / 16 गणितागततिथ्यन्तः 29 / 24 ऊनः 27 / 8 एतत्कालीनसायनसूर्यः 3 / 18 / 30 / 9 सायनवित्रिभम् 5 / 13 / 17 / 5 अनयोरन्तरम् 1 / 24 / 46 / 56 भागाः 54 / 46 / 56 भवाप्ता 4 गतपिण्डः 219 गतगम्यपिण्डयोरन्तरेण 16 शेषांशादिः 10 / 46 / 56 गुणितम् 172 / 28 / 16 गतपिण्डे 219 गम्यपिण्डस्याधिकत्वाद्युतः 234 / 40 षष्टिभक्ता 3 / 54 उन्नतज्यया 114 / 2 गुणितम् 444 / 43 नखेन्दुभक्तम् 3 / 42 स्पष्टं सकल्लम्बनम् 3 / 42 अनेन स्थित्यूनतिथ्यन्तः 27 / 8 धनम् 30 / 50 स्थिरः स्पर्शकालः। एतत्कालीनलग्नान्नति : साध्या, एतत्कालीनसपातचन्द्राच्छरः साध्यः / अथ मोक्षकाला नयनम्-मध्यस्थित्या 2 / 16 गणितागततिथ्यन्तो 29 / 24 युक्तः 31 / 40 एतत्कालीनोऽर्कः 3 / 0 / 37 / 18 सायनः 3 / 18 / 34 / 38 सायनवित्रिभम् 6 / Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160