Book Title: Kahavali Pratham Paricched Part 02
Author(s): Kalyankirtivijay
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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[२४४]
*वद्धावुओ य मंचियाईसु चम्मकडो नाम । तंतुगहणो य कंबलाई तंतुकडो नाम । कमंकमेण य दुहसोहणिज्जा [जहा] पत्थुयकडा तहा पाणीणं पेम्माणुबंधो वि । जओ सुंबकडो थोवेणं चेव उण्हेण जहा विहडइ तहा कोइ मोहो वि सुहं विहडेज्ज १ । कोइ पुण विदलकडो व्व किलेसेण विहडइ २ । अवरो उण ध(च)म्मकडो व्व गुरुकिलेसेण विहडइ ३ । जो उण तंतुकडो व्वाऽईवनिविडो मोहो सो महाकिलेसेणं वि विहडेज्ज वा न वा । ता गोयमा ! तुमं मे भवपरंपरासहभावओ तंतुकडो इव सन्निचियसिणेहतंतू मोहममुंचंतो केवलनाणुप्पत्तीए वि किमद्धिइं करेसि ? जेण अंते तुल्ला भविस्सामो' । एवं च केवलनाणत्थी वि गोयमो न सामिमि मोहं मुंचइ त्ति || सालाइ त्ति गयं ॥छ।
इय वद्धमाणसामिस्स एक्कारसगणहरेहिं सह सीसा चोद्दससहसमाणा समणा । तेसिं च मज्झाओ मोत्तुं गोयमसामि सुहम्मसामि च गणहरा सेसा वीरजिणे जीवंते सिद्धा । दो पुण गए सिद्धि । तह के वि केसिपमुहा पडिसीसा पाससामिणो संति चउसु वि ठिया छसु अठिया कप्पेसु । जओ सुए भणियं
आचेलुक्कुद्देसिय-सेज्जायर-रायपिंड-किइकम्मे । वय-जिट्ठ-पडिक्कमणे, मासं पज्जोसवणकप्पे ॥ आचेलुक्कु १-इसिय २-पज्जोसवण ३-रायपिंड ४-पडिक्कमणे ५ । मासविहारे ६ अट्ठिय-कप्पो मज्झिमजिणाणं ति ॥ सेज्जायरपिंड १-वय २-जेट्ठ ३-किइकम्म ४-रूवठियकप्पे । सव्वजिणतित्थसमणा, समणी य सम त्ति चउसु ठिया ॥ तत्थाऽऽचेलक्कं अप्पमोल्ल-सियवसणगहणओ १ जिणाणं । समणट्ठा कयमुद्देसियं पि पढमंतिमा न गेहंति ॥ भत्ताई लेंति सेसा वि विहियं तित्थंतरनिमित्तं ॥ जढसेज्जायरपिंडा, सव्वे; निवपिंड चइंति पढमंता । सव्वेसि किइकम्म, जं भणइ वड्डवंदणयं ॥ पढमंतिमेसु पंच चउ महव्वया सेसएसु [तित्थेसु] ।
[से केणटेणं एवं कप्पभेओ? ताहे भणियं जहा - पढमजिणसीसा उज्जजडा ।
ते य कयाइ थंडिल्ल] भूमीओ चिरागया पट्ठा । 'कत्थेत्तियवेला भे लग्गा ?' तें बेंति - 'पेच्छंता ।। नडपेच्छणयं थक्का', गुरुराह – 'नडा न जोइउं जुत्ता' । पडिवज्जिउं च तं ते, चिरागया पुणरवि कयाइ ॥
* वर्धाव्यूतः । (स्थानाङ्गसूत्रे ) ॥ * अत्र कश्चन पाठस्त्रुटितः ॥
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