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४. जीवन विज्ञान-शिक्षा की अनिवार्यता
४१-५५ अध्यात्म की शिक्षा का प्रश्न ४१, अध्यात्म का अर्थ ४१, शिक्षा के साथ जीवन विज्ञान क्यों? ४२, शस्त्र की नयी व्याख्या ४३, शस्त्र : अध्यात्म की भाषा में ४४, शस्त्र है 'भाव' ४५, अविरति ४५, शांतिपूर्ण जीवन के लिए जीवन विज्ञान ४६, मुक्ता खो गई ४७, उदासीनता अनुशासन के प्रति ४८, स्वनिर्भरता की आस्था ४८, अपने से अपनी चिकित्सा का सिद्धांत ४९, आत्मानुशासन का विज्ञान ४९, शरीर और मन : पारस्परिक प्रभाव ५०, महत्त्वपूर्ण खोजें मन को साधने की ५१, विपरीत अभिनिवेश ५२, विवशता
आत्मानुशासन की ओर लौटने की ५३, प्रभाव ही प्रभाव ५४ ५. स्वतंत्र व्यक्तित्व का निर्माण
५६-८० विवेक चेतना : स्वतंत्र व्यक्तित्व की पहचान ५६, प्राणशक्ति का विकास : एक महत्त्वपूर्ण खोज ५७, प्राणशक्ति और श्वास ५७, जीवन है प्राण ५८, तीन महत्त्वपूर्ण केन्द्र ५९, अन्तर्दृष्टि का विकास ५९, अलौकिक है अन्तर्दृष्टि का व्यवहार ६०, अनिवार्य है
आध्यात्मिक प्रशिक्षण ६१, प्रयोग के स्तर पर ६१, नियंत्रण हो नियंत्रण कक्ष पर ६२, क्या हम स्वतंत्र हैं? ६३, बदलाव का बिन्दु ६४, धार्मिक होने का अर्थ ६५, बदलना हमारे हाथ में है ६६, बदलाव के सूत्र ६६, प्राणशक्ति का अपव्यय न हो ६७, बदलने का दूसरा सूत्र ६७, भावना का प्रयोग ६८, निर्णय का आधार ६९, सहिष्णुता का प्रयोग ७०, शक्ति को निर्माणात्मक शक्ति में बदलने का प्रयोग ७१, संकल्प की सफलता ७२, आन्तरिक परिवर्तन के दो सूत्र ७२, मन का शोधन ७३, तीन तत्त्व : मानसिक जगत् ७३, जीवन विज्ञान : अगला कदम ७४,विस्मृति का रोग ७५, चिकित्सा हो प्राणशक्ति की ७५, भीतर की शक्ति ७६, भीतर भी देखें बाहर भी देखें ७७, प्रयोग करें : प्रकाश करें ७७, यथार्थ का निरूपण ७८,
जीवन विज्ञान : उपलब्धियां ७९ ६. जीवन विज्ञान और सामाजिक जीवन
८१-९२ जीवन की दो पद्धतियां ८१, आस्था बदले ८२, वैज्ञानिक पद्धति ८३, चेतना के रूपान्तरण का परिणाम ८३, ध्यान के परिणाम : समाज के सन्दर्भ में ८५, सामाजिक समता की दृष्टि ८५, जीवन
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