________________
अनुक्रम
खण्ड - अ जीवन विज्ञान और व्यक्तित्व निर्माण
१. जीवन विज्ञान : स्वरूप और आवश्यकता
शिक्षा का अर्थ ३, यक्ष प्रश्न ३, वर्तमान शिक्षा : अधूरी प्रक्रिया ४, वर्तमान शिक्षा की निष्पत्ति ५, असंतुलन शिक्षा प्रणाली का ५, विपर्यास का निदर्शन ५, व्यर्थ है आरोपण ६, जीवन विज्ञान की परिकल्पना ७, प्राणधारा का संतुलन ७, जैविक संतुलन ७, क्षमता की आस्था का जागरण ८, त्रिआयामी परिष्कार ९, उपादान का परिष्कार १०, जीवन विज्ञान : मस्तिष्कीय परिष्कार ११
२. जीवन विज्ञान : आधार और प्रक्रिया
शरीर तंत्र का प्रशिक्षण १३, सेतु है श्वास १३, वाणी : सामाजिकता का माध्यम १४, मन १५, समस्या सहायक की १४, जीवन विज्ञान का आधार तत्त्व : प्रशिक्षण १६, प्रशिक्षण की प्रक्रिया १७, प्रत्यक्षीकरण श्वास का १७, प्रत्यक्षीकरण शरीर का १८, प्रत्यक्षीकरण चैतन्य केन्द्रों का १९, अनुप्रेक्षा १९, कायोत्सर्ग २०, जागरूकता २१ ३. शिक्षा की समस्याएं
विकास का प्रश्न २२, स्वाभाविक प्रक्रिया २२, संभावनाओं का द्वार : संतुलन २३, वर्तमान शिक्षा : जीवन की उपेक्षा २४, भीतर है बदलाव का बिन्दु २४, मन और प्राणशक्ति की उपेक्षा २५, संरक्षण प्राणशक्ति का २६, अनियन्त्रित काम : पागलपन का कारण २६, दुष्परिणाम असंतुलन के २७, सहिष्णुता का विकास २८, सहिष्णुता : शरीर सिद्धि की प्रक्रिया २९, प्रक्रिया पारदर्शन की २९, जीवन विज्ञान : आत्म संयम का प्रशिक्षण ३०, जीवन विज्ञान शक्ति का जागरण ३१, जीवन विज्ञान : आज की अपेक्षा ३१, प्राणी का कर्तृव्य ३२, ज्ञाता से अज्ञात ३३, अनुभव अधूरेपन का ३४, बुद्धि के परिणाम ३५, तरंग भावों के तट की ३६, समाधान में बाधाएं ३६, मूल्य शिक्षा और आत्मानुशासन का ३७, समाधान का बिन्दु ३८, संयुक्त प्रयास ३९, पहेली सुलझ सकती है ३९
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
३-१२
१३-२१
२२-४०
www.jainelibrary.org