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जीवन - श्रेयस्कर - पाठमाला
पञ्च य फासे महव्वयाई पञ्चासवसंवरए जे स भिक्खू ॥ ५ ॥
चत्तारि वमे सया कसाए धुवजोगीय हवेज बुद्धवयणे ।
अहणे निजायरूवरयए
गिहिजोगं परिवजए जे स भिक्खू ॥ ६ ॥
सम्मद्दिट्ठी सया अमूढे
अस्थि हु नाणे तवे संजमे य ।
तवसा धुइ पुराणपावगं
मणवय काय सुसंकुडे जे स भिक्खू ॥ ७ ॥
तहेव असणं पारागं वा
विविदं खाइमसाइमं लभित्ता ।
होही अट्टो सुए परे घा
तं न निहे न निहावर जे स भिक्खू ॥ ८ ॥
तहेव असणं पाणगं वा
विविह खाइमसाइमं लभित्ता ।
अज्झयण १०
छंदिय साहम्मियाण भुंजे
भोच्या सज्झायरए य जे स भिक्खू ॥ ६ ॥
न य वुग्गहियं कहं कहिजा
न 'संजमधुवजोगजुत्ते वसंते
जो सहर हु गामकण्टए अक्कोस पहारतजणाओ य ।
१. संजमे धुवं जोगेण जुत्ते ।
कुप्पे निहुइदिए पसंते ।
विहेडए जे स भिक्खू ॥ १० ॥