Book Title: Jivan Shreyaskar Pathmala
Author(s): Kesharben Amrutlal Zaveri
Publisher: Kesharben Amrutlal Zaveri

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Page 309
________________ २४२] [ जीवन-श्रेयस्कर-पाठमाला याविसाल पुवस्ल तीसं वत्थू पण्णत्ता । लोकबिंदुसारपुवस्स णं पणुवीसं वत्थू पराणत्ता, गाहा दस १ चोदस २ अट्ट ३ ऽटारसेव ४ बारस ५ दुवे ६ य वत्थूणि । सोलस ७ तीस ८ बीसा ९ पन्नरस १० अणुप्पवायम्ति ।। ३५॥ वारस इक्कारसमे, बारसमे तेरसेव वत्थूणि । तीसा पुस तेरसमे, चोदसमे परणविसाप्रो ॥ ३६ ।। चत्तारि १ दुवालस २ अट्ट ३ चेव दस ४ चेव चुल्लवत्थूणि। आइल्लाण चउराहं, ससाण चूलिया नत्थि ॥ ३७ ॥ से त पुब्वगए। से किंतं अगुोगे? अणुओगे दुविहे पर णत्ते, तंजहा-मूलपढमागुनोगे; गंडि गणु प्रोगे य । से किं तं मूलपढ माणुओगे? मूलपढमाणुप्रोगे गं अरहंताणं भगवंताणं पुवभवा, देवलोग-- गमणाई, आउं, चवणाई; जम्मणाणि, अभिसेया रायवरसिरीओ पव्वज्जाओ, तवा य उग्गा, केवलनाणुप्पयानो, तित्थपवत्तणाणि य, सीसा, गणा, गणहरा, अज्ज पवत्तिणीश्रो संघस्स चउहिस्स जं च परिमाणं, जिणमणपज्जवओहिनाणी, सम्मत्तसुयनाणिणो य, वाई, अणुत्तरगईय, उत्तरवेउविणो य मुणिणो, जत्तिया सिद्धा, सिद्धिपहो जह देसिओ, जञ्चिरं च कालं, पाओवगया जे जहिं जत्तियाई भत्ताई (अणसणाए ) छेइत्ता अंतगडे, मुणिवरुत्तमे, तिमिरोघविप्पमुक्के मुक्खसुहमणुत्तरं च पत्त, एवमन्ने य एवमाइभावा मूलपढमाणुनोगे कहिया, से त्तं मूलगढमाणुओगे । से कंतं गंडियाणुओगे ? गंडियाणुओगे कुलगरगंडियाओ, तित्थयरगंडियाओ, चक्कवट्टिगंडि

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