Book Title: Jivan Shreyaskar Pathmala
Author(s): Kesharben Amrutlal Zaveri
Publisher: Kesharben Amrutlal Zaveri

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Page 335
________________ २६८ ] [ जीवन - श्रेयस्कर - पाठमाला ४ ५ ७ ८ १४ चरणाईयारा गं जहक्कम्मं वणतिगिच्छरूवेणं । पडिक्कम सुद्धा सोही तह काउसग्गेणं ॥ ६ ॥ गुणधारणरूवेणं पञ्चक्खाणेण तवइया रस्स । विरश्रायास्स पुणो सव्वेहिवि कीरए सोही ॥ ७ ॥ 'सह' सीह अभिसे दाम सर्सिदिएर झर्य कुभं । पउमसर सागर" विमाण - भवण रयणुच्चय” सिहिं च अमरिंदन रिंदमुदिबंदिअं वंदिउं महावीरं कुसलाणुबंधि बंधुरमज्झयां कित्तइस्साभि ॥ ६ ॥ चउसरणगमण दुक्कड गरिहा सुकाणुमोश्रणा चेव । एस गणो अवश्यं कायव्वो कुसल हेउत्ति ॥ १० ॥ अरहंत-सिद्ध- साहू केवलिकहिओ सुहावहो धम्मो । एए चउरो चउगइहरणा सरां लहइ धन्नो ॥ ११ ॥ ग्रह सो जिणभत्ति-भरुत्थरंत रोमंच-कंचुअ- करालो । पहरिसण- उम्मीसं सीसंमि कथंजलि भगइ ॥ १२ ॥ रागद्दोसारीणं हंता कम्मट्ठगाइअरिहंता / विसय - कसायारीणं अरिहंता हुंतु मे सरणं ॥ १३ ॥ राय सिरिमुवक्कमि (सि) ता तवचरणं दुच्चरं श्रणुचरिता । केवल सिरिमरिहंता अरिहंता हुंतु मे सरणं ॥ १४ ॥ थुइ-दमरिहंता अमरिंद-नरिंद्रपूर अमरिहंता । सासय सुहमरहंता अरिहंता हुंतु मे सरां ॥ १५ ॥ परमरागयं मुांता जोइंद महिंद भाणमरहंता । धम्मकहं अरहंता अरिहंता हुतु मे सरणं ॥ १६ ॥ सव्वजिश्राणमहिंसं अरहंता सच्चवयणमरहंता । बंभव्वयमरहंता अरिहंता हुतु मे सरणं ॥ १७ ॥ ओसरणमवसरित्ता चउतीसं इसए निसेवित्ता । धम्मक च कहंता अरिहंता हुतु मे सरणं ॥ १८ ॥ १२ 13

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