Book Title: Jivan Shreyaskar Pathmala
Author(s): Kesharben Amrutlal Zaveri
Publisher: Kesharben Amrutlal Zaveri

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Page 338
________________ चउसरण पयन्ना 1 [ २७१ कालत्तरवि न मयं जम्प्रण-- जर मरणवाहिलय - समयं । श्रमयं व बहुमयं जिणमयं च सरणं पवन्नोऽहं ।। ४५ ।। पस मिश्रकाममोहं दिट्टादिट्ठेसु नकलिअविरोहं । सिवसुहफलयम मोहं धम्मं सरणं पवन्नोऽहं ॥ ४६ ॥ नरय- गइ गमणरोहं गुणसंदोहं पवाइनिकखोह | निहणिअवम्प्रहजोहं धम्मं सरणं पवनोऽहं ॥ ४७ ॥ भासुर - सुवन्न- सुंदर - रयणालंकार- गारव-महग्घं । निहिमिव दोगच्चहरं धम्मं जिणदेसिअं वंदे ॥ ४८ ॥ चउसरागमणसंचि अपवरिअरे मंच अंचियसरीरो । कयदुक्कड गरिहो असुहकम्पक्खयकंखिरो भइ ॥ ४६ ॥ seभविश्रमन्नभविअं मिच्छत्तपवत्तां जमहिगरणं । जिपवयणपड़िकुटुं दुट्टु गरिहामि तं पावं ।। ५० ।। मिच्छत्ततमंधेां अरिहंताइसु अवन्नवयणं जं । अन्नाणेण विरइयं इरिह गरिहामि तं पावं ।। ५१ ।। सुग्रधम्म- संघ साहुसु पावं पडिणीअयाइ जं रइअं । अम्ने अपावेसुं इसिंह गरिहामि तं पावं ॥ ५२ ॥ अन्सु जीवेसुं मित्ती- करुणा इ-गोयरेसु कथं । परिश्रावणाई दुक्खं इहि गरिहामि तं पावें ॥ ५३ ॥ जं मरावयकारहिं कयकारिअ - अणुमईहिं आयरियं । धम्मविरुद्ध सुद्धं सव्वं गरिहामि तं पावं ॥ ५४ ॥ अह सो दुक्कड गरिहाद लिउक्कड दुक्कडो फुडं भणइ | सुकाणुरायसमुइन्न पुन्नपुलयं कुरकरालो ॥ ५५ ॥ अरिहत्तं अरिहंतेसु जं च सिद्धत्तणं च सिद्धे सु । आयारं आयरिए उज्झायत्तं उवज्झाए ॥ ५६ ॥ साहू साहुचरिअं च देसविरइं च सावय - जणां । अणुमन्ते सवेसिं सम्मत्तं सम्मदिट्ठीगं ।। ५७ ।।

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