Book Title: Jivan Shreyaskar Pathmala
Author(s): Kesharben Amrutlal Zaveri
Publisher: Kesharben Amrutlal Zaveri
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२७०]
[ जीवन-श्रेयस्कर-पाठमाला
केवलिणो परमोही विउलमई सुअहरा जिणमयंमि। आयरिन उवज्झाया ते सव्वे साहुणो सरां ॥ ३२ ॥ च उदस-दस-नवयुवी दुवालसिकारसंगिणो जे । जिणकप्पाहालंदिअपरिहार-विसुद्धि-साहू अ ॥ ३३॥ खीरासवमहु-आसवसंभिन्नस्सोअकुट्टवुद्धी श्र। चारणवेउविपयाणुसारिणो साहुणो सरणं ।। ३ ।। उझियवइरविरोहा निच्चमदोहा पसंतमुहसोहा । अभिमयगुणसंदोहा हयमोहा साहुगो सरणं ।। ३५ ।। खंडिअसिणेहदामा छाकामघामा निकामसुहकामा । सुपरिसमणाभिरामा आयारामा मुणी सरां ॥ ३६॥ मिल्हि अविसयकसाया उभियघरघरणिसंगसुहसाया । अकलि अहरिस विलाया साहू सरणं गयपमाया ॥३७ ॥ हिंसाइदोससुन्ना कयकारुन्ना सयंभुरुप्पन्ना-(प्पुराणा )। अजरामरपहखुन्ना साहू सरणं सुकयपुन्ना ॥ ३८ ॥ कामविंडबणचुका कलिमलमुका विवि [मु] कचोरिका । पावरय-सुरयरिका साहू गुणरयणचच्चिका ।। ३६ ।। साहुत्तसुट्टिया जं आयरिश्राई तो य ते साहू । साहुभणि.एण गहिया तम्हा ते साहुणो सरणं ॥ ४०।। पडिवन्नसाहुसरणो सर काउं पुणोवि जिणधम्म । पहरिसरोमंचपवंचकंचुचिअतरणू भणइ ॥ ४१ ।। पवरसुकरहिं पत्तं पत्तेहिवि नवरि केहिवि न पत्तं । तं केवलिपन्नत्तं धम्म सरगां पवन्नोऽहं ॥ ४२ ॥ पत्तेण अपत्तेण य पत्ताणि अ जेण नरसुरसुहाई। मुक्खसुहं पुण पत्तेण नवरि धम्मो स मे सरणं ।। ४३ ॥ निद्दलि अकलुसकम्मो कयसुहजम्मो खलीकय--अहम्मो । पमुहपरिणामरम्मो सरणं मे होउ जिणधम्मो ॥४४॥

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