Book Title: Jivan Shreyaskar Pathmala
Author(s): Kesharben Amrutlal Zaveri
Publisher: Kesharben Amrutlal Zaveri
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चउसरण पयन्ना
[२६६
एगाइ गिराऽणेगे संदेहे देहि समं छित्ता। तिहुयणमणुसासंता अरिहंता हुंतु मे सरणं ॥ १६ ॥ वयणामएण भुवणं निव्वाविंता गुणेसु ठावंता । जिअलोअमुद्धरंता अरिहंता हुंतु मे सरणं ॥ २० ॥ अञ्चब्भुयगुणवंते नियजसससारपसाहिअदिअंते । नियमणाइ अणंते पडिवन्नो सरणमरिहते ॥ २१ ॥ उज्झिअजरमरणाणं समत्तदुक्खत्तसत्त-सरणाणं। तिहुअणजणसुहयाणं अरिहंतारणं नमो ताणं ॥ २२॥ अरिहंत-सरण मल-सुद्धिलद्ध-सुविसुद्ध-सिद्धबहुमायो । पणय सिर रइय-कर-कमल-सेहरो-सहरिसं भणइ ।। २३ ।। कम्मटुक्खयसिद्धा साहाविअनाणदसणसमिद्धा । सम्वट्ठलद्धिसिद्धा ते सिद्धा हुंतु मे सरणं ॥ २४॥ तिअलोप्रमत्थयत्था परमपयत्था अचिंतसामत्था। मंगलसिद्धपयत्था सिद्धा सरणं सुहपसत्था ॥ २५ ॥ मूलुक्खयपडिवक्खा अमूढलक्खा सजोगिपञ्चक्खा । साहवित्तसुक्खा सिद्धा सरण परममुक्खा ॥ २६ ॥ पडिपिल्लिन पडिणीया समग्गाणग्गिदड्डभवबीमा। जोइसरसरणीया सिद्धा सरणं सुमरणिया ॥२७॥ पावियपरमादा गुणनीसंदा विभिन्न भवकंदा । लहुईकय-रविचंदा सिद्धा सरणं खविपदंदा ॥२८॥ उवल द्धपरमबंभा दुल्लहलभा विमुक्कसंरंभा । भुवणघरधरणखंभा सिद्धा सरणं निरारंभा ॥ २९ ॥ सिद्धसरणेण नवबंभहेउसाहुगुणजणि-बहुमायो मेइणिमिलंत सुपसत्थमत्थओ तत्थिमं भणइ ॥ ३०॥ जिअलोअबंधुणो कुगइसिंधुणो पारगा महाभागा। नाणाइएहिं सिवसुक्खसाहगा साहुणो सरणं ॥ ३१॥

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