Book Title: Jivan Shreyaskar Pathmala
Author(s): Kesharben Amrutlal Zaveri
Publisher: Kesharben Amrutlal Zaveri
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२७४]
[ जीवन-श्रेयस्कर-पाठमाला
एगो मे सासओ अप्पा, नाणदंसणसंजो । सेसा मे बाहिरा भावा, सव्वं संजोगलक्खणा ॥ १६ ॥ जीवियं नाभिगच्छेजा मरणं नोवि पत्थए। दुह उवि न इच्छेजा, जीवियं मरणं तहा ॥ १७ ॥ सारं दसणना, सारं-तव-नियम-संजम-सी । सारं जिणवरधम्मं; सारं संलेहणा पंडियमरणं ॥१८॥ कल्लाणकोडिकारिणी, दुग्गइदुहनिट्ठवणी । संसारजलतारिणी, एगंत होइ जीवदया। १९ ।। आरंभे नत्थि दया, महिलए संग नासइ बंभं । संकाए नासइ सम्मत्तं, एवज्झा अत्थग्गहरणं च ॥ २० ।। मजं विसयकसाया, निद्दा विकहा य पंचमी भणिया। एए पंच पमाया, जीवा पाडेति संसारे ।। २१॥ लब्भति विमला भोए, लम्भंति सुरसंपया। लभंति पुत्तमित्तं च, एगो धम्मो न लब्भई॥ २२॥ न वि सुही देवता देवलोए, न वि सुही पुढवीपइराया । न वि सुही सेट्ठिसेणावइ य,एगत सुही मुणी वीयरागी ।।२३।। नगरी सोहंती जलमूल बागे, नारी सोहंति परपुरुषत्यागे। राजासोहंत सभा पुराणी, साधु सोहंता अमृतवाणी ॥५४॥
चलंति मेरु चलति मंदिरं, चलंति तारा रविचन्द्रमंडल । कदापिकाले पृथ्वी चलति, साहसपुरुषवाक्यो न चलति धर्मे २५
अशोकवृक्षः सुरपुष्पवृष्टि दिव्यध्वनिश्चामरमासनं च। भामण्डल दुंदुभिरातपत्रं, सत्प्रातिहार्याणि जिनेश्वराणाम् २६
अप्पा नई वेयरणी, अप्पा मे कुडसामली। ..... अप्पा कामदुहा घेणू, अप्पा मे नंदणं वर्ण ॥ २७॥...

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