Book Title: Jivan Shreyaskar Pathmala
Author(s): Kesharben Amrutlal Zaveri
Publisher: Kesharben Amrutlal Zaveri
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श्रीनन्दीसूत्र]
[२१३
नेरइयदेवतित्थंकग य अोहिस्सऽबाहिरा हुंति । पासंति सम्वो खलु सेसा देसेण पासंति ॥ १० ॥ सं तं प्रोहिनाणपञ्चक्खं ।
से किं २ मणपजवनाणे ? मणपजवणाणे भन्ते ! किं मगुस्साणं उपजह अमयुस्सा ?
गोयमा ! मणुस्लाणं, नो अमणुस्साणं ?
जाह मणुस्स णं किं समुच्छिममणुस्साणं, गम्भवक्कंतियमणुस्लाणं?
गोयमा ! नोसंमुच्छिममणुस्साणं उपजइ, गब्भवतियमगुस्सारणं ।
जह गम्भवतियमणुरसाणं किं कम्पभूमियगम्भवकंतियमणुस्ला, अकम्पभूमियगब्भवतियमणुस्साणं, अन्तरदीवगगब्भवतिय मणुस्साणं? ___ गोयमा ! कम्मभूमियगब्भवतियमणुस्सा, नो अकम्म - भूमियगब्भवतियमणुस्साणं, नो अन्तरदीवगगम्भवतियमणुस्साणं। . .
जइ कमाभूमियगम्भवतियमणुस्साणं, किं संखिजवासाउयकम्मभूमियगब्भवतियमणुस्साणं असंखिजवासा. उयकम्मभूमियगब्भवतियमणुस्साणं ?
गोयमा ! संखिजवासाउयकम्मभूमियगम्भवक्कंतियमणुस्साणं, नो असंखेजवासा उयकम्प्रभूमियगब्भवतियमणुस्सारणं ।

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