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________________ ५२ जीवन - श्रेयस्कर - पाठमाला पञ्च य फासे महव्वयाई पञ्चासवसंवरए जे स भिक्खू ॥ ५ ॥ चत्तारि वमे सया कसाए धुवजोगीय हवेज बुद्धवयणे । अहणे निजायरूवरयए गिहिजोगं परिवजए जे स भिक्खू ॥ ६ ॥ सम्मद्दिट्ठी सया अमूढे अस्थि हु नाणे तवे संजमे य । तवसा धुइ पुराणपावगं मणवय काय सुसंकुडे जे स भिक्खू ॥ ७ ॥ तहेव असणं पारागं वा विविदं खाइमसाइमं लभित्ता । होही अट्टो सुए परे घा तं न निहे न निहावर जे स भिक्खू ॥ ८ ॥ तहेव असणं पाणगं वा विविह खाइमसाइमं लभित्ता । अज्झयण १० छंदिय साहम्मियाण भुंजे भोच्या सज्झायरए य जे स भिक्खू ॥ ६ ॥ न य वुग्गहियं कहं कहिजा न 'संजमधुवजोगजुत्ते वसंते जो सहर हु गामकण्टए अक्कोस पहारतजणाओ य । १. संजमे धुवं जोगेण जुत्ते । कुप्पे निहुइदिए पसंते । विहेडए जे स भिक्खू ॥ १० ॥
SR No.022602
Book TitleJivan Shreyaskar Pathmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharben Amrutlal Zaveri
PublisherKesharben Amrutlal Zaveri
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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