Book Title: Jin Stotra Kosh
Author(s): Chandrodayvijay, Suryodayvijay
Publisher: Kot Tapgacch Murtipujak Shwetambar Jain Sangh

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Page 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संपादकीय भवोदधितारक पूज्य गुरुदेवादिनी परमनिश्रामा बाळउछेरनी जेम संयमीजीवनमा अनेकविध स्वाध्याय-ध्यान-तपादिना वारि सिंचाता संयमी जीवननी अमारी भूमिमां अनेकविध अंकुरा स्फुरता रह्या अने तेवा एक प्रसंगे पूज्य गुरुदेवश्रीनी प्रेरणा मलतां प्रस्तुत 'श्रीजिनरत्नकोश'नुं संशोधन कार्य शरू कर्यु अने तेओ पूज्यश्रीनी कृपावर्षाथी तेमज संपूर्ण संशोधन अंगेनी चोकसाईथी ते कार्य पूर्ण थयु छे. आ स्तोत्रकोशनी मूळ प्रति तेमज प्रेसमेटर अमोने आगमप्रभाकर मुनिवरश्री पुण्यविजयजी महाराजश्रीजीनी पासेथी मळी हती अने ते प्रतिदर्शन वखतेज तेओश्रीनुं पण संशोधन अने प्रकाशन अंगे प्रेरणा अने सूचना मळी हती, ते आ प्रसंगे भूलवू न जोईए. बाकी तो संशोधनक्षेत्रमा प्रायः अमारो आ प्रथम प्रयास छे अने आ विद्वत्ता भरपूर प्रौढ चमत्कृतियुक्त स्तोत्रादि छे. एटले मतिदोषथी के मुद्रणकार्यअंगे कोई पण क्षति देखाय तो क्षन्तव्य गणी वाचकवर्ग अमोने जाण करी संशोधन कार्य माटे पुनः उत्साहित करशे एम इच्छीए छीए । मुनि चन्द्रोदयविजय मुनि सूर्योदयविजय For Private and Personal Use Only

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