Book Title: Jin Stotra Kosh
Author(s): Chandrodayvijay, Suryodayvijay
Publisher: Kot Tapgacch Murtipujak Shwetambar Jain Sangh

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Page 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रकाशकीय निवेदन वि. सं. २०१२ मां मुंबई-कोट श्रीशान्तिनाथजीना उपाश्रये श्रीसंघनी आग्रहभरी विनंतिथी प. पू. शान्तमूर्ति समयज्ञ आचार्यदेव श्रीमद् विजयविज्ञानसूरीश्वरजी महाराज साहेबनी आज्ञा पामी, तेओश्रीना पट्टधर प. पू. प्राकृतविद् विशारद सिद्धान्तमहोदधि आचार्य महाराजश्री विजयकस्तूरसूरिजीमहाराजसाहेब विशालमुनिवृन्दसह चातुर्मास पधार्या हता. .. प्रशान्तात्मा ते पूज्यश्रीनी स्थिरताबाद श्रीसंघमां अनेकविध आराधना साथे अपूर्व शासन प्रभावनाना कार्यो श्रीसंघे उत्साह भरे का हता. सतत स्वाध्याय-ध्यान-विविधतपानुष्ठानरत तेओश्रीजीना शिष्य-प्रशिष्यादि वृन्दमां प्रस्तुत श्रीजिनरत्नकोशनुं संशोधनकार्य मुनिप्रवरश्रीचंद्रोदयविजयजीमहाराज तथा मुनिवरश्रीसूर्योदयविजयजीमहाराज ए बन्ने मुनिवरोए पूर्ण करतां मुद्रणकार्यनी शरुआत थतां, पूज्य आचार्यदेवश्रीए प्रस्तुत श्रीजिनरत्नकोशना प्रकाशन कार्यमा आर्थिक साह्यता करी श्रुतभक्तिनो लाभ लेवा श्रीसंघने प्रेरणा करता, श्रीसंघे ते प्रेरणाने शिरोधार्य गणी ते प्रेरणानुसार प्रकाशनकार्य पूर्ण थता काव्यनी विविध चमत्कृतियुक्त तरणतारण श्रीजिनेश्वर देवादिना स्तोत्रादि आजे आराधक आत्माओ उपरांत विद्वजनना करकमलमा मुकता अमो आनंद अनुभवीए छीए. प्रकाशक कोट. श्री. श्वे. मू. तपागच्छसंघ. For Private and Personal Use Only

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