________________
(४४)
धर्मशाखा पंधावी त्या देरासरमा पवासणा गोखलायो दरवाजो जमतीनी देरी = ४सहीत सस्ते पारसनु काम तथा तखावनी जीत तथा रीपर बीगेरे जीर्णोद्धार करायो श्री शुनं अवतु सदा । सलाट पाश्चंद जगजीवन मीत्री पालीताणा वाला -- ।
तीर्थ श्री पावापूरी। शासन नायक श्री महावीर स्वामीका यह निर्वाण कल्याणक का स्थान जेनीयोंका प्रसिद्ध तीर्थक्षेत्र है। २४ मा तीर्थकर के समवसरण की रचना और उनका मोक्ष यहां जये हैं। समवसरण के स्थानमें १ स्तंन वर्तमान है कोई लेख नही है। वहांसे प्राचीन चरण उगकर जखमंदिर के पासमें तलावके पाड़ पर विराजमान हुथे हैं । अग्निसंस्कार की जगह तालाव और मंदिर है। प्राचीन मंदिर १ गांवमें है और नवीन मंदिर = १ खताम्बर और १ दिगम्बरी उस तालाव के पाड़में बनाई और कई धर्मसाक्षायें है।
समवसरणजी के प्राचीन चरणों पर ।
[1011
सं० १६४५ वर्षे वैशाख सुदि३ गुरी श्री----- कनकविजय गणिनिः---। (अक्षर घस जानेके कारण पढ़ा नही जाता )
जलमंदिर - पावापुरीजी श्री गोतमस्वामीजी के चरणोंपर ।
[182]
सं० १९३५ मि० आ शुक्ल ५इदं गोतम गणधर पाउकां कारापितं उसवाल चोमिया .