Book Title: Jaina Inscriptions
Author(s): Puranchand Nahar
Publisher: Puranchand Nahar
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( २१५ ) जूना वेडा (मारवाड)
( 919 ) ॐ ॥ संवत् ११४४ माघ सु० ११ भ पतेरं प्रदेव्यास्तु सूनुना जेजकेन स्वयं प्रपूर्ण बन मानावे मिलित्वा सर्व बांधवः ॥१॥ खनके पूर्ण भद्रस्य वीरनाथस्य मंदिरे कारिता वीर नाथस्य श्रेयसे प्रतिमानघा ॥२॥ सूरे प्रद्योतनार्यस्य ऐन्द्र देवेन सूरिणा अषिते सांप्रतं गच्छे निःशेष नय संजुते ॥३॥
( 920 ) संवत् १६४१ वर्षे फागुण दि १३ उकेस ज्ञासीय वापणे गोत्रे सेंधवी टीलु आर्या दीड़म दे पत्र सं० गोपा भार्या गेलमदे पत्र रूपा चंदा श्री रादुलिया भार्या मन अगोदे पुत्र भोजा भा० ना - - . . श्री पार्श्वनाथ विंव कारित सपा गच्छ भहारक श्री श्री हीर विज --..।
( 921 )
संवत् १३४७ वर्षे वैशाख मुदि १५ रवी श्री अकेश गोत्रे श्री सिद्धा चार्य संताने श्रे० वेल्हू भा० देमलतरपत्र अ० जन सीहेन सक्दुम्बेन आत्म श्रेयसे पारवनाथ विवं कारितं प्र. श्री देव गुप्त सूरिभिः ।
संवत् १५०७ वर्षे माहि सुदि ५ रवी प्र० ग० दोला राजू पु. वीसा भा० विमलादे । पु. ड्रगर सहितेन स्व पुण्यार्थे श्री बिमलनाथ विवे का० म० श्री मडाहड़ा गच्छे श्री नय कीधिसूरि भि० माल्हेणसू ग्रामे वास्तव।
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