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घटियाला। वह स्थान मारवाड़ के राजधानी जोधपुर के पश्चिम उत्तर की ओरमें अवस्थित है और इसी गांव के पास यह शिला लेख मिला था इसकी भाषा प्राकृत है और मारवाड़ के सब लेखों से प्राचीन है। ___ यह लेख जोधपुर के प्रसिद्ध ऐतिहासिक मुंगी देवीप्रसादजी ने अपने मारवाड़ के प्राचीन लेख नामक पुस्तक में संस्कृत अनुवाद के साथ उपवाया था वही यहां पर प्रकाशित किया जाता है।
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घटियाला। ओं सग्गापगमग्गं पढ़म सयलाण कारणं देवं । णीसेस दुरिम दलणं परम गुरु णमह जिणणाहं ॥१॥ रहुतिलो परिहारो आसी सिरिलक्खणोतिरामस्स । तेण परि हार वसो समुषई एत्य सम्पत्तो ॥२॥ विपो सिरि हरिअन्दो भज्जा आसीति खत्तिा भट्टा । अस्स सुओ उप्पणो वीरो सिरि रज्जिलो एल्थ ॥३॥ अस्सविणहड़ णांमोजा मोसिरिणहड़ोतिए अस्स। अस्सवि तणओ ताओ तस्सवि जसवटुणो जाओ॥१॥ अस्सवि चन्दु णांमा उप्पणो सिल्लओ विए मस्स । झोडोति तस्स तणओ अस्स वि सिरि भिल्लु ओ जाई॥५॥ सिरि भिल्लुअल्स तणमो कक्को गुरु गुणेहि गारविमो। अस्सवि कक्कअ णामो दुल्लह देवीए उप्पणो ॥६॥ईसिविआसंहसिम महुरं भणि पलोई सोम्मं । णमयं जस्सण दीणां रासोथे ओधिरामेत्ती ॥ ७॥णोजम्पि ण हसियंण कर्य ण पलोइ जसरिअ। णधि परिदम मिअ जेण जणे कज परिहीणं ॥८॥ सुत्थादुत्थादि पया महमात हउत्तिमा पिसोक्खेण । जणणिन्ध जेण धरिआ णिणिय मण्डले सम्वा ॥६॥ उअगेहरा अमच्छर लोहे हिमिणाय वज्जि अजेण । पक ओदो एह विसेसो ववहारे कावमण यपि ॥ १०॥ दिअवर दिएमाणुउर्ज जेष जणं रंज्जिजण सवलम्पि। णिम्मछरेण जणिमट्ठाण विदण्ड पिट्टणं । ११.