Book Title: Jaina Inscriptions
Author(s): Puranchand Nahar
Publisher: Puranchand Nahar
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( १६४ ) समय विमयो चिती चणी विजयते तनयो तयोरिमो ॥ ३ ॥ तत्राद्यः सज्जन श्रेणी रख रवासियो धर्म । धनाणख्य जन मूढ़ - राज मान्यो घियां निधिः ॥ ४ ॥ द्वितीय सुद्वितीतेंदु कांति कांच गुणोच्चयः । धरणः शरणं श्रीणां प्रवीणः पुण्य कर्मणि ॥ ५ ॥ रखा देवी arre देव्यो जात्यो तयोरनुक्रमतः । समभूता मति निर्मल गोलाकार चारिण्यो ॥ ६ ॥ तस्य सुता ५- तेजा पासल वास जाल्हणेनारूयाः | शांत स्वभाव कलिसा गुण बरु मलया: कला निलया: ॥ ७ ॥ इतश्च । श्री प्राग्वाटाभिध जाति शुंग श्रृंगार शेखरः । पुरा भून्महुणा नामा व्यवहारी परस्थितिः ॥ ८ ॥ तस्य जोला भिधः सूनु स्तपुत्र भावोऽशठः ॥ ९ ॥ तदीय पुत्रः सुगुणैः पवित्रः स्वाजन्य विश्वः सुनया सूषितः । श्रीवाभिधानः सुकृति प्रधानः सत्कार्य घुर्यो व्यवहार वर्यः ॥ १० ॥ नयणा देवी नाम सू देवी विख्यात संज्ञिक तस्या दयिते ढययो पेते शीलाद्युद्यम गुण कलिते ॥ ११ ॥ नयणा देवी तनुजो मनुजो चित चारु लक्ष्मणो पेतः । अमरो भ्रमरो गुरु जन जन जनन्यादि पद कमले ॥ १२ ॥ भीम कांत गुण ख्याते प्रजा पालन लालसे। हाजाभिधे घरा धीशे प्राज्य राज्यं - रीक ॥ १३ ॥ आस्यामुभाभ्यां धनि पूर पाल लोधाभिघाभ्यां सदुपासकाभ्यां । ग्रामेऽग्रिमे पींडर वाढकारूये प्रसाद - विरुद धारि सारः ॥ १४ ॥ विक्रमाद्वाण कांधि भूमिते वत्सरे तथा । फाल्गुनारूये शुभे मासे शुक्लायां प्रतिपत्तिथौ ॥ १५ ॥ कल्याण वृद्धघ भ्युदयेक दायकः, श्री वर्द्धमान श्रमो जिनेश्वरः । श्री मत्तपः संयम धार सूरिभिः प्रतिष्ठितः स्पष्ट महा महादीह ॥ १६ ॥ आरवींदु समयादनया श्री वर्द्धमान जिन नायक मूर्या । राजमानमभिनंदतु विश्वानंद दायक मिदंर चैत्यं ॥ १७ ॥ श्लो० ॥
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आजक
राज श्री समर सिंह जी उषावता देहनारा देहधी आरोहतो - कमनड़ काथोछइ । वान देश माहि घोलसह सिनइ गधड़ ड गाए छह सं १७२३ वर्षे मगसिर सुदि -- ॥
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