Book Title: Jaina Inscriptions
Author(s): Puranchand Nahar
Publisher: Puranchand Nahar
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(६७२) सुंदर सूरि उपदेशेन श्री कलवा नगरे ओसवाल ज्ञातीय म० मलुसी संताने सं० रतन भार्या वा० वीरू सुत सं० आमसी श्री जीराउल भुवने देवकुलिका कारापिता।शु अवतु भी पार्श्वनाथ प्रसादात ॥ छ । सा० आमसी पुत्र गुणराज सहस राज ।
977 )
स्वस्ति श्री संवत् १४८१ वर्षे वैशाख सुदि ३ वृहत्तपा पो अटा० श्री रत्नाकर सूरीणामनुक्रमेण श्री अभयसिंह सूरोणा प? श्री जय तिलक सूरीश्वर पहावतंस महा० श्री रत्न सिंह सूरीणामुपदेशेन श्री बीसल नगर वास्तव्य प्रारबाटान्वय मंडन श्रे. पेत सीह नंदन श्रे. देवल सीह पत्र अ. पोषा तस्य भार्या सं० प्रण न देव्ये तयो. सभा सं० सादा सं० दादा सं० मूदा सं० दूधाभिधं रेतेः कारि।
स्वस्ति संधत् १५०८ वर्षे आपाठ सुदि १२ गने सू० साला सहडा नरसी नीमा मांडण सांडा गोपा मेरा मोकल पांचा सूरा नित्य प्रणम्य अष्टांग सकुटु य ।
( 079.)
ओ। सं० १८५१ वर्ष आसाढ़ सुदि १५दिने श्री जीरावल पार्श्वनाथजीरी जीणोद्वार कारापितः सकल महारक पुरंदर भहारक जी श्री श्री श्री श्री श्री १०८ - घर राज्येन जीर्णोद्धार करापितं हजार ३०१११ रुपीया परचीवी नाल लीघो भी जीरावल वास्तव्य मु०। चजा। को। दला। सा. कला। सा. रसा। सा० सपा । सा. जोयन सा. अणला। सा. बारम । सा. रामल । - - - यकी काम कारापितः । जोसी दुरगा। प्रात राजा जात्रा सफलः ॥
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