________________
वीर आम जाल काल्हा पुत्र लक्ष्मीधर महीधर राल्हण पुत्र आखे शूर घोरहसी पुत्र देव जस पाल्हण पुत्र घण चंडा रथ चंडादि स्वकलत्र समन्विताः स्व श्रेवोर्थ स्तंभ लगामिमं कारापयामासः ।
( 868 )
ओं संवत १२६५ वर्षे उस गोत्र श्रोष्ठि पार्थ भायां दूल्हेवि तत्पुत्र मगाकेन मार्या राजमति राल्हू तस्याः पुत्राश्चत्वारी लक्ष्मीधर अभय कुमार मेघ कुमार शक्ति कुमार लक्ष्मीधर पुत्र वीर देव अभय दे पुत्र सर्वदेवादिषु कुल कुटुय सहितेन स्तंभन माकारितेदमिति...।
( 869 ) ॐ संवत १२६५ वर्षे श्री नाणकीय गच्छे धर्कट गोत्र आसदेव सत्सुत जागू भार्याथिर मति सत्सुत गाहड़स्तस्य भार्या सातु तत्पुत्र आजमदादेः समुर्तिका सूरि काम कारयदात्म यसे॥छ॥
फलोदी। यह स्थान मारवाड़के मेड़ता नगरके पास है।
बड़े जैन मंदिरके देहलीके पत्थरों पर ।
( 870 ) संवत् १२२१ मार्गसिर सुदि ६ श्री फलवाईकायां देवाधिदेव श्री पार्श्वनाथ चैत्ये श्री प्राग्वाट वंसीय रोपि मुणि म० दसाढ़ाभ्यो आस्म श्रेयार्थ श्री चित्रकूटीय सिलफट सहितं चन्द्रको प्रदत्तः शुभं भवत् ॥