Book Title: Jaina Inscriptions
Author(s): Puranchand Nahar
Publisher: Puranchand Nahar
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( २१९ )
गत्तीय राउत महण सिंह भुक्ति बंसंह उवाट मध्यात श्री महावीर देव वर्षं प्रति ट्राम ४ खाज सूणो दत्ताः जस्य भूमिः तस्य तदांभत्य | सेठ रायपाल सुत राव राजमल्ल महाजन रक्ष पाल विनाणि यस्स दिवहिं ।
बेलार ।
मारवाड़ के देसूरी जिलेके घानेराव नामक स्थानके समीप यह ग्राम है ।
श्री आदिनाथ जी का मंदिर ।
( 861 )
ओ संवत १२३५ वर्षे श्र े० साधिग भार्या माल्ही तत्पुत्रा आववीर घदाक आवधराः आववीर पुत्र साल्हण गुण देवादि समन्वित आत्म श्रयसे उगिकां कारितवान ।
( 862 )
ॐ संवत १२३५ वर्ष फाल्गुन वदि ७ गुरौ प्रौढ प्रताप श्री मद्वांचल देव कल्याण विजय राज्ये बाधल दे वैस्ये श्री नाणकीय गच्छे श्री शांति सूरि गच्छाधिपे शाश्च । आसीद् धर्केट वंश मुख्य उसम: श्राद्धः पुरा शुद्धधीस्तद्गोत्रस्य विभूषणां समजनि श्रेष्ठि सपावभिधः । पुत्रौ तस्य वभूवतुः क्षितितले विख्यात कीर्त्ति भृशं पूमल्ह प्रथमो बभूव सगुणी रामाभिधश्चापरः ॥ तथान्यः ॥ श्री सर्व्वज्ञ पदाचर्च्चने कृत मर्तिद्दाने दयालु
हुराशादेव इति क्षिती समप्रवत पुत्रस्य घांघाभिधः । तत्पुत्रो यति संप्रतिः प्रति दिन गोसाक नामा सुधीः शिष्टाचार विद्यारदी जिन गृहोद्धारोबतो योऽजनि ॥२॥
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