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निज गुरु श्री शालिभद्र सूरि मूर्ति पूजा तो श्री सुमति सूरिभिः । प्रदतात् वलाः ५ मास पाटकेने चके व्ययनीयाः ॥ छ ॥
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॥ ॐ ॥ संवत् १२९७ वर्षे ज्येष्ठ सुदि २ गुरौ बासहड़ वास्तव्य ऊजाजल गोत्र श्रेष्ठि चांदा सुत नाना देव सधीरण सुत आस पाल गुण पाल सेहड़ सुत पूस देव साबूदेव पूसदेव सुत घण देव सहड़ भायां शीत पुत्रिका साजणि जाल्ह सती रण भार्या राहीबाई - सेहड़ भार्या अहव सूमदेव भार्या मदावति सावदेव भार्या महल सिरि कुटुब समुदायेन सेहडेन भार्या समम्बितेन देव कुलिका कारापिता ॥ मेढ पुत्रिका देह साहुखा उसम दासेन सुभं भवत् ॥
सांडेराव |
यह भी मारवाड़के बाली जिले में है ।
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श्री शांतिनाथजी का मंदिर ।
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श्री पंढेरक चैश्ये पंडित । जिन चन्द्रेण गोष्ठियुतेन धीमता देव नाग गुरो मूर्त्ति कारिता थिरपाल मुक्ति बांछतां सं० १९४९ वैशाख वदि -- ।
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रु० १२ पुत्रीकाया गो कारापिता ।
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वर्षे
फागुण सुदि १४ गुरौ अब ह श्री पंडेरक निवासी श्रेष्टि गुणपाल ला -- सुखमिणि नामिकाया। श्री महावीर देव चेत्ये चतुष्किका
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