Book Title: Jaina Inscriptions
Author(s): Puranchand Nahar
Publisher: Puranchand Nahar

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Page 256
________________ ( २२९) ( 883 ) ॥ संवत १२२१ माघ बदि २ शुक अोह श्री केलाण देव विजय राज्ये। तस्य मात राज्ञी श्री आनन देख्या भी पंडेरकीय मलनायक श्री महावीर देवाय चैत्र वाद १३ कल्याणिक निमिशं राजकीय प्रोग मध्यात्। युगंधर्याः हाएल एकः प्रदत्तः । तथा राष्ट्रकूट पातू केल्हण तद्भातृज उत्तमसीह सूद्रग काल्हण आहड आसल अतिगादिमिः तला रामाव्यवस? गटसस्कात् । अस्मिन्नेव कल्याण केद्र १ प्रदत्तः ॥१॥ तथा श्री पंडेरक वास्तव्य रघकार धणपाल सूरपाल जोपाल सिगहा अमियपाल जिसहडदेण्हणादिभिः क्षेत्र सुदि १३ कल्याणके युगंधर्माः हाएल एक १५ - - - - ( 884 ) सम्बत् १२३६ कार्तिक बदि २ बुधे अद्य श्री नड्ले महाराजाधिराज श्री केल्हण देव कल्याण विजय राज्ये प्रवर्तमाने राज्ञी श्री जालहण देवि भुको श्रो षंडेरक देव श्री पार्श्वनाथ प्रतापतः थांपा सुत राल्हाकेन मा मात पाहा पुत्र सोढा सुमकर रामदेव धरणि यवोहीष वर्द्धमान लक्ष्मीधर सहजिग सहदेव सहियगछा ? रागां धीरण हरिचन्द्र वर देवादिभिः युतेन म .. - परम श्रेयो) विदित निज गृहं प्रदत्तः ॥ राबहारा सरक मानुषे घसद्भिः वर्ष प्रति द्रा० एला ? प्रदेया। शेष जनानां बसतां साधुभिः गोष्टिके सारा कार्या ॥ संवत १२६६ वर्षे ज्येष्ट सुदि १३ शनी सोयं मातृ धारमति पुनः स्तंभको उधृत । थांथा सुत राल्हा पाल्हाभ्यां मातृ पद श्री निमित्त स्तमको प्रदत्तः । नाना मारवाड़के वाली जिलेमें यह ग्राम है। (885) संवत १२०३ वैशाख सुदि १२ सोम दिने भो महत सूरिमिः प्रतिष्ठितः समस्तः ।

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