Book Title: Jaina Inscriptions
Author(s): Puranchand Nahar
Publisher: Puranchand Nahar

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Page 208
________________ ( १८१ ) सर्व धातु की मूर्तियों पर । ( 751 ) सं० १५३४ वर्षे आषाढ़ सुदि २ गुरौ भंडारी गोत्रे सा० बील्हा संताने मं० मायर भार्या सुहदे पुत्र स० अस्का भार्या लषमादे भातृ सांपायने श्रो कुंथुनाथ विंवं कारितं श्रयसे प्रति० संडेरंग गच्छे श्रोईवर सूरि पट्ट े श्री शांति सूरिभिः । तपगच्छका उपासरा । ( 752 ) सं० १६५३ वर्षे चै० शु० ४ श्री कुंथनाथ विंवं गांदि गोत्रे श्री - स० सुरताण भा० वीरदे पुत्र सादूल श्री तपागच्छे श्री विजयसेन सूरि पं० विनय सुंदर गणि प्रतिष्ठितं । श्री पार्श्वनाथजी का मंदिर | ( 753 ) सं० १५२८ वर्षे फा० बदि १३ श्री माली श्र े० समरा भा० धर्मिणि ५० श्र े० मूलू भा० ० काका झा० काउ पुत्री लापू नाम्न्या पु० सांगा भा० बाधी २० कुटुम्ब युतया श्री शांति विवं का० तथा श्री क्ष ेम सुन्दर सूरि - ---| ( 754 ) सं० १६७७ वर्षे अक्षय तृतीया दिने शनि रोहिणी योगे मेढता नगर वास्तव्य सा०

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