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(१९८) श्री सचियाय माताका मंदिर।
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सं० १२३६ कार्तिक सुदि १ बुधवारे अद्यह भी केलहण देव महाराज राज्ये तत्पुत्र श्री कुमर सिंह सिंह विक्रमे श्री माढव्य पुराधिपती-- - दमिकान्वीय कीर्ति पाल राज्य वाहके तद्भुक्तो श्री उपकेशीय श्री सञ्जिका देवि देव गृहे श्री राजसेवक गुहिल गो ऋय विषयी धारा वर्षेण श्री क संचिका देवि भक्ति परेण श्री संच्चिका देवि गोष्ठिकान णित्वा तत्समक्ष सइयं व्यवस्था लिखापिता। यथा। श्री सच्चिका देवि द्वारं भोजकैः प्रहरमेकं यावदुवाट्य द्वार स्थितम् स्थातव्यं । भोजक पुरुष प्रमाणं द्वादश वर्षायोत्परः । तथा गोष्ठिकैः श्री सच्चिका देवि कोष्ठागारात् मुग मा घृत कर्ष १ मोजकम्यो दिन प्रति दातव्यः ।
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संवत् १२३१ चैत्र सुदि १० गुरी घोर घड़ांशु गोत्र साध बहुदा सुत साघ जाल्हण तस्य भार्या सूहवं तयोः सुतेन साधु माल्हा दोहित्रन साधु गयपालन-.. सरिचको देवि प्रासाद कर्मणि चंडेका शीतला श्री सच्चिका देवि क्षमं करी श्री क्षेत्र पाल प्रतिमाभिः सहितं जंघा घरं आत्म श्रेयाय कारित।
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संवत् १२४५ फाल्गुन सुदि ५ अद्येह श्री महावीर स्यशाला निमितं पाल्हिया धीय देव चन्द्र बधू यशोधर भार्या सम्पूर्ण श्राविकया आत्म श्रेयार्थ आत्मीय स्वजन वर्गा समन्तेन स्वगृहं दत्त।