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सं० १५७' वर्ष कुतथपरा पक्ष तपागच्छाधिराज श्री इन्द्र नंदि सूरि शिष्य प्रमोद सुन्दर सूरि गुरुणामुपदेशात् पत्तनोय श्री संघेन कारिता देव कुलिका चिरं जीयात् ॥
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श्री यशोभद्रसूरि गुरुपादुकाभ्यां नमः । संवत् १५६७ वर्षे वैशाख मासे शुक्ल पक्ष यांति शुक्रवासरे पुनवसु ऋक्ष प्राप्त चंद्र योगे श्रो संदुर गच्छे कलिकाल गौतमवतारः समस्त भविक जन मनोबुज विबोधनैक दिन करः सकल लब्धि विश्रामः युग प्रधानः जितानेक वादीश्वर वृंदः प्रणतानेक नर नायक मुकुट कोटि घृष्ट पादारविंदः श्री सूर्य इव महा प्रसादः चतुः षष्टि सुरेन्द्र संगीयमान साधुवादः । श्री पंडेरकीय गण बुधावतंसः सुभद्रा कुक्षि सरोवर राजहंसः यशोवीर साधु कुलांबर ननी मणिः सकल चारित्रि चक्रवर्ति वक्त चूड़ामणिः भ० प्रभु श्री यशोभद्र सूरयः तर श्री चाहुमान वंश श्रङ्गारः लब्ध समस्त निरवद्य विद्या जलधि पारः श्री बदरा देवी दत्त गुरु पद प्रसादः स्व विमल कुल प्रबोधक प्राप्त परम यशो बादः अ० श्री शालि सूरि स्त० श्री सुमति सूरिः त० श्री शांति सूरिः त० श्री ईश्वर सूरिः । एवं यथा क्रममनेक गुण र्माणि गण रोहण गिरीणां महा सूराणां बंशे पुनः श्री शालि सूरिः त० श्री सुमति सृरिः सत्पालंकार हार भ० श्री शांति सूरि बराणां सपरिकराणों विजय राज्ये ॥ अथेह श्री मदेपाट देशे । श्री सूर्य वंशाय महाराजाधिराज श्री शिला दिव्य वंशे श्री गुहिदत्त राउल श्री बप्पाक श्री खुमाणादि महाराजान्वये राणा हमीर श्री पेस सिंह श्री लखम सिंह पुत्र श्री मोकल मृगांक वशोद्यतिकार प्रताप मार्तंडावतारः आ समुद्र मही मंडला खंडलः अतुल महाबल राणा श्री कुम्भकर्ण पुत्र राणा श्री राय मल्ल विजय मान प्राज्य राज्ये सत्पुत्र महाकुमार श्री पृथ्वो राजानुशासनास । श्री उकेश वंश राय जडारो गोत्र राउल श्री लाखण पुत्र मं० दूदवंशे मं० मयूर सुत मं० सादूल स्तत्पुत्राभ्यां मं० साहा समदाभ्यां सद्वृांधव मं० कर्मसाधा रालाखादि सुकुटुम्ब