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( १५२ ) गणि शिष्य---- चंद्र मुनिना शिष्य मोहनचन्द्र युतेन श्री सत्गुरु चरण कमलानि कारितानि महोत्सवं कृत्वा प्रतिष्ठापितानि स्थापितानिच वर्तमान श्रीवृहत्खरतर गच्छ महारकाज्ञयाच श्री अभयदेव सूरिजिनदत्तसूरिजिनचंद्र सूरिजिन कुशल सूरिणां चरणन्यासः।
पालिताना। श्वेताम्बरियोंका विख्यात तीर्थ श्री शत्रुजय (सिद्धाचल) पहाड़ के नीचे यह काठियावाड़का एक प्रसिद्ध स्थान अवस्थित है।
मोती सुखियाजीका मन्दिर ।
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संवत १५०३ वर्षे ज्येष्ठ शु. १. प्राग्वाट ज्ञातीय श्रे० आमा मा० सेग सुत परवतेन मा० माई कुटुंवयुतेन स्वश्रेयोर्थ श्री श्रेयांस नाथ विवं कारितं प्रतिष्ठितं तपा श्री जयचंद्र सूरिभिः ॥ गणवाडा वास्तव्यः ।
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संवत १५५८ वर्षे फागुण शुदि १२ शुक्र श्री उकेश वंशे गांधो गोत्र अविका भक्त। सा० छाजू सुत सेंघा पुत्र सूरा मा. मेधाई सु० साऊंया मा. मकू नाम्न्या स्व श्रेयार्थ श्री सुमतिनाथ विवं कारितं प्रतिष्टितं मलधार गच्छे श्री लक्ष्मीसागर सूरिभिः ।
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संवत १५७१ वर्षे माघ वदि १ सोमे वीसल नगर वास्तव्य प्राग्वाट क्षतीय व्य. चहिता मा. लाली पु. व्य. नारद भार्या नारिंग पु. जयवंतकेन भार्या हर्षमदे प्रमुख