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यह ग्राम रैनपुरसे ३ कोस पर है।
संवत १६२१
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सादडि ।
स्वस्ति श्री ऋद्धि वृद्धि जया मंगलाभ्युदय श्री- अथ श्रीतृ - विक्रमादित्य समयात्-१६४८ वर्षे वैशाख मासे कृष्णपक्ष अष्टम्यां तिथौ लामदासार गंगाजल निर्मलायां श्री उसवाल ज्ञाती कावेडिया गोत्र साह श्री भारमल गृहे भार्या बहू श्री मेवाडी - तत्पुत्र साह श्री तारा चंदजी स्वर्गारूढो जातः तत्र बहू श्री तारादे १ बह ओो त्रिभवणदे २ बहू श्री असवदे ३ बहू श्री सोभागदे ४ सहगत ---
नाकोडा ।
मारवाड़ के मालानी - परगने के नगरके पास पहाड़ों के बीच यह एक प्राचीन स्थान है ।
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पार्श्वनाथ जिन चैत्ये चतुष्किका कारापित श्रावक संघेन ।
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• संवत १६३८ आशाढ़ सुदि २ गुरुवार -
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संवत १६४२ भाद्रपद सुदि १२ सोमवार
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- राउल श्री मेघराजजी विजय राज्ये -
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